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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड की रिंग रोड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोश में दिखाई दे रहे हैं। जिस रिंग रोड के निर्माण की स्वीकृति उन्होंने केन्द्र से प्राप्त की है वह रिंग रोड राज्य के दोनों मण्डलों को और नजदीक ला देगी।  यह मार्ग दोनों मण्डलों यानी गढ़वाल मण्डल और कुमाऊँ मण्डल को आवागमन की तेज सर्विस दे पाएगा। समय बचेगा और आवागमन भी सुगम होगा। इस मार्ग के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार पूरा धन उपलब्ध कराएगी। जाहिर है यह सड़क मजबूत और टिकाऊ होगी। उत्तराखण्ड में अभी भी ऐसे मार्गों की जरूरत है जो बारहमासा सुरक्षित रहें। जानोमाल की हानि न्यूनतम हो और समय बचने के साथ-सार्थ इंधन की बचत हो सके। उत्तराखण्ड सरकार की यह पहल सराहनीय है। परिवहन व्यवस्था जितनी चुस्त दुरूस्त होगी आर्थिकी उतनी ही मजबूत होगी। हम यह भी नहीं भूल सकते कि उत्तराखण्ड मूलरूप से पर्यटन प्रदेश है और यहाँ के सुप्रसिद्ध चारधाम इसे धर्माटन राज्य भी बनाते हैं। पर्यटन और धर्माटन के साथ-साथ साहसिक खेल के मोर्चे पर यह राज्य किसी से कम नहीं है। इसलिए प्रस्तावित रिंग रोड पर्यटन और धर्माटन को भी बढ़ावा देगी। लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। सरकार की वे नीतियाँ जो पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहीं हैं, उन्हें भी गति मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि पलायन पर प्रभावी अंकुश लगेगा। पलायन किसी भी प्रदेश के लिए आत्मघाती होता है । अब ऐसी स्थिति आ गई है कि सयाने लोग रिवर्स पलायन की बात करने लगे हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि राज्य में विकास के कार्य हो रहे हैं। रिवर्स पलायन का अर्थ है कि पलायन कर चुके लोगों का वापस पहाड़ की ओर जाना। अब पहाड़ से दूर हो चुके लोग फिर से पहाड़ पर अपने ही लोगों से जमीन खरीद रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि ऑलवेदर रोड जैसी परियोजनाएं स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली हैं। ठीक इसी तर्ज पर प्रस्तावित रिंग रोड भी राज्य की आर्थिक ताकत को और मजबूत करेगी। साथ में रेलवे लाइन का विस्तार सोने में सुहागा सिद्ध होगा।

 

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