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बुल्डोजर और ट्रैक्टर की रोमांचक कुश्ती

कुश्ती में बुल्डोजर ने ट्रैक्टर के परखच्चे उड़ा दिए
नेशनल वार्ता ब्यूरो
दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं पर करीब एक साल आन्दोलन नहीं चलाया गया। राजनीति और षड़यंत्र के दौर चलाए गए। देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी जमावड़ाबाजों को फटकार नहीं लगाई कि तुम लोग राहगीरों के मानवाधिकारों का हनन नहीं कर सकते। आने जाने वालों के मानवाधिकारों को कुचला जाता रहा और सुप्रीम कोर्ट चुप रहा। प्रदेशों के हाईकोर्ट भी चुप बैठे रहे। यह हमारी न्याय व्यवस्था की नाकामी है जिसे नकारा नहीं जा सकता। यदि कोई राज्य सरकार या केन्द्र सरकार सख्त कदम उठाती तो ये जमावड़े खून खराबा करने को तैयार बैठे थे। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में से दिल्ली की सरकार इन जमावड़ों की मेहमान नवाजी कर रही थी। पंजाब में झाडू वालों ने चुनाव बिना मेहनत के नहीं जीता है। जमावड़ाधारियोें के अड्डों पर षड़यंत्र रचे गए ताकि उत्तर प्रदेश से योगी को बेदखल किया जा सकता और पंजाब से कांग्रेस को। कांग्रेस झाडू वालों की राजनीति समझते हुए भी उसका तोड़ नहीं तलाश पाई क्योंकि उसे लगता था कि उसकी दुश्मन नम्बर वन भाजपा है और रहेगी। कांग्रेस की इस कमजोरी का फायदा झाडू वालों ने उठाया। झाडू वालों ने किसानों के सरदारों की दिल्ली की सीमा पर खूब सेवा की और चुनाव जीत कर मेवा पाया। झाडू वालों के वैसे तो दो राजनीतिक दुश्मन थे पहली भाजपा और दूसरी कांग्रेस। चूँकि कांग्रेस का नेतृत्व दमदार नहीं है इसीलिए झाडू वालों को पूरा भरोसा था कि वे दिल्ली की सीमाओं पर जमे जमावड़ों को प्रसन्न करके कांग्रेस को पंजाब से बाहर कर देंगे। झाडू वालों को पता था कि वे उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं कर पाएंगे। इसलिए वे पगड़ीधारियों की सेवा करते रहे और पंजाब में जीत का परचम लहरा दिया। कांग्रेस अपनी ना समझी के चलते ना तो घर की रही और ना घाट की। यानी न तो वह उत्तर प्रदेश में अपनी इज्जत बचा पाई और ना ही पंजाब में अपने सिंहासन को सुरक्षित रख पायी। अगर कांग्रेस वामपंथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कथित आन्दोलनकारियों की हाँ में हाँ ना मिलाती तो दोनों प्रदेशों में उसकी ऐसी दुर्दशा नहीं होती। ट्रैक्टर ने खेतों में सकारात्मक भूमिका निभाने की वजाए दिल्ली की सड़कों पर क्रूर खलनायक की भूमिका अदा की। मोदी विरोधियों को लाल किले की प्राचीरों तक पहुँचा दिया। वह कर दिया जो दस देश भारत के खिलाफ लड़ते तो शायद वे भी ऐसा ना कर पाते। अब ट्रैक्टर गैंग का सरताज राकेश टिकैत अपने घायल पंजे सहला रहा है। भाजपा को गाली देकर अपने मन को बहला रहा है। क्योंकि दिल्ली की सीमाओं पर षड़यंत्र में इन महाशय का रोल बहुत बड़ा था। ये हरी टोपीधारी मानकर चल रहे थे कि ये मोदी योगी की जोड़ी को मल्ल युद्ध में तहस नहस कर देंगे। ये महाशय पंजाब में तो कामयाब हो गए परन्तु उत्तर प्रदेश में मुँह के बल गिरे। क्योंकि वास्तविक किसान मोदी के तीनों कृषि कानूनों से नाराज था ही नहीं। अगर वह नाराज होता तो कम से कम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का सूपड़ा साफ हो चुका होता। यानी ट्रैक्टरों ने घेर कर बुल्डोजर की बखियाँ उधेड़ कर रख दी होतीं। -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार, देहरादून।

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  वीरेन्द्र देव गौड़/सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला

7 comments

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