देहरादून (संवाददाता)। रविवार को धूमधाम से दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। लेकिन जरा सी लापरवाही दीपावली का मजा किरकिरा कर सकती है। दीपावली के मौके पर पटाखे जलाने के दौरान बहुत से लोगों के जल जाने की शिकायत आती है। प्रदूषण और तेज धमाकों की वजह से आंखों में जलन, दम घुटने, हार्ट अटैक और कान बंद होने जैसी दिक्कतें भी आम हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसी हालत से बचने के लिए एहतियात जरूरी है।
सुरक्षित और सेहतमंद दीपावली मनाने के लिए दून के डाक्टरों की ये सलाह जरूर पढ़े….
आग से बचाव के लिए ऐसा करें-(कोरोनेशन अस्पताल के बर्न यूनिट के प्रभारी डा. कुश एरन, आरोग्यधाम अस्पताल के निदेशक डा. विपुल कंडवाल के मुताबिक)
क हमेशा लाइसेंसधारी और विश्वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें।
क पटाखों पर लगा लेबल देखें और उस पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
क पटाखे जलाने से पहले खुली जगह में जाएं।
क आसपास देख लें, कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकडऩे वाली चीज तो नहीं है।
क जितनी दूर तक पटाखों की चिनगारी जा सकती है, उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें।
क पटाखा जलाने के लिए स्पार्कलर, अगरबत्ती अथवा लकड़ी का इस्तेमाल करें ताकि पटाखे से आपके हाथ दूर रहें और जलने का खतरा न हो।
क रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह तय कर लें कि उसकी नोक खिड़की, दरवाजे और किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। यह दुर्घटना की वजह बन सकता है।
क पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते-चप्पल जरूर पहनें।
क हमेशा पटाखे जलाते वक्त अपना चेहरा दूर रखें।
क अकेले पटाखे जलाने के बजाय सबके साथ मिलकर एंजॉय करें ताकि आपात स्थिति में लोग आपकी मदद कर सकें।
क कम से कम एक बाल्टी पानी भरकर नजदीक रख लें।
क किसी भी बड़ी आग की शुरुआत एक चिनगारी से होती है, ऐसे में आग की आशंका वाली जगह पर पानी डालकर ही दूर जाएं।
ऐसा बिल्कुल न करें
क नायलॉन के कपड़े न पहनें, पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है।
क पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इसमें खुली फ्लेम होती है, जो कि खतरनाक हो सकती है।
क रॉकेट जैसे पटाखे तब बिल्कुल न जलाएं, जब ऊपर कोई रुकावट हो, मसलन पेड़, बिजली के तार आदि।
क पटाखों के साथ एक्सपेरिमेंट या खुद के पटाखे बनाने की कोशिश न करें।
क सड़क पर पटाखे जलाने से बचें।
क एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें।
क कभी भी अपने हाथ में पटाखे न जलाएं। इसे नीचे रखकर जलाएं।
क कभी भी छोटे बच्चों के हाथ में कोई भी पटाखा न दें।
क कभी भी बंद जगह पर या गाड़ी के अंदर पटाखा जलाने की कोशिश न करें।
क हाल में एक स्टडी में बताया गया है कि जलने के ज्यादातर हादसे अनार जलाने के दौरान होते हैं। इसलिए अनार जलाते वक्त खास एहतियात बरतें। हो सके तो खुद और बच्चों को भी आंखों में चश्मा लगा लें।
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आंख-कान का बचाव ऐसे करें -(दून अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के एचओडी डा. सुशील ओझा, वरिष्ठ नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डा. पीयूष त्रिपाठी और डा. विकास सिकरवार के मुताबिक)
क आंख में हल्की चिनगारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं।
क सादे पानी से आंखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं।
क दिवाली के बाद पल्यूशन और राख से आंखों में जलन की दिक्कत भी काफी बढ़ जाती है।
क अक्सर दिवाली के दूसरे-तीसरे दिन तक बाहर निकलने पर आंखों में जलन महसूस होती है, क्योंकि हवा में पल्यूशन होता है। ऐसी दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह से कोई आई ड्रॉप इस्तेमाल कर सकते हैं।
क वे लोग, जो लगातार 85 डेसिबल से ज्यादा शोर में रहते हैं, उनके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
क 90 डेसिबल के शोर में रहने की लिमिट सिर्फ 8 घंटे होती है, 95 डेसिबल में 4 घंटे और 100 डेसिबल में 2 घंटे से ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए।
क 120 से 155 डेसिबल से ज्यादा तेज शोर हमारे सुनने की शक्ति को खराब कर सकता है और इसके साथ ही कानों में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है।
क ऐसे पटाखे, जिनसे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर हो, उनकी आवाज से 4 मीटर की दूरी बनाकर रखें।
क ज्यादा टार वाले बम पटाखे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर पैदा करते हैं, इसलिए ज्यादा शोर वाले पटाखे न जलाएं।
क आसपास ज्यादा शोर हो रहा हो, तो कानों में कॉटन या इयर प्लग का इस्तेमाल करें।
क छोटे बच्चों का खास ध्यान रखें। कानों में दर्द महसूस होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
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अस्थमा और हार्ट पर असर- (गांधी अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डा. प्रवीण पंवार, कोरोनेशन के वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट के मुताबिक)
क पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से अस्थमा और दिल के मरीजों की दिक्कतें कई गुना बढ़ जाती हैं।
क टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से ऐलर्जी या अस्थमा से पीडि़त लोगों की सांस की नली सिकुड़ जाती है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन नहीं मिल पाती।
क ऐसी हालत में थोड़ी सी भी लापरवाही से हार्ट अटैक और अस्थमैटिक अटैक आ सकता है।
क परेशानी से बचने के लिए अस्थमा व दिल के मरीज पटाखे जलाने से बचें।
क धुएं और पल्यूशन से बचने के लिए घर के अंदर रहें। अगर धुआं घर में आ जाए तो एक साफ-सुथरा कॉटन का रुमाल या कपड़ा गीला करके उसका पानी निचोड़ कर उससे मुंह ढंक कर सांस लें। इससे हानिकारक कण शरीर में प्रवेश नहीं करेंगे।
क सांस के साथ प्रदूषण अंदर जाने से रोकने के लिए मुंह पर गीला रुमाल रखें। अस्थमा के मरीज इनहेलर और दवाएं आदि नियमित रूप से लें।
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खानपान में भी बरते एहतियात- (दून अस्पताल के मेडिसन विभाग के एचओडी डा. नारायणजीत सिंह, वरिष्ठ फिजीशिन डा. एसडी जोशी, डा. केसी पंत और जैनेंद्र कुमार के मुताबिक)
– देर रात में हल्का खाना खाएं। हेवी खाना खाने से भारीपन महसूस हो सकता है और रात में हार्ट की प्रॉब्लम हो सकती है।
– ड्रिंक करने से रात में ब्लड शुगर लेवल खतरनाक रूप से कम हो सकता है।
– पैक्ड फ्रूट जूस में सोडियम काफी ज्यादा होता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
– रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से डायबिटीज के मरीजों को पटाखों के पल्यूशन से चेस्ट इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
– हर चीज को लिमिट में इस्तेमाल करें, ज्यादा मात्रा में ड्राई फ्रूट भी परेशानी का सबब बन सकता है।
– इन दिनों नकली मिठाइयों की बिक्री जोरों पर है। मार्केट में लाल, पीली, काली, नीली हर रंग की मिठाइयां मौजूद हैं, जिनमें केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल होता है। इनका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
– जहां तक हो सके, घर की बनी फ्रेश चीजों, ताजे फल और ताजे फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें।
– लोग शुगर फ्री मिठाइयां यह सोचकर खाते हैं कि यह नुकसान नहीं करेंगी। सच यह है कि ये चीजें शुगर फ्री होती हैं, न कि कैलरी फ्री। ऐसे में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ जाता है।
– डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्या वाले लोग अक्सर सेहत का हवाला देकर मीठे के बजाय नमकीन खाते हैं, जबकि तली और ज्यादा नमक वाली चीजें भी परेशानी बढ़ाती हैं।
– मिलावटी मिठाइयों से हो सकती हैं ये परेशानियां- पेटदर्द, सिरदर्द, नींद न आना, मितली, शरीर में भारीपन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का कंट्रोल से बाहर होना आदि।
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