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जीएसटी में कटौती के लिए मजबूर हुई मोदी सरकार!

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नई दिल्ली । जीएसट. को लेकर आखिरकार मोदा सरकार ने अपना फैसली बदल ही लिया शुक्रवार को जीएसटी को नरम करने पर सहमित दे दी पर इस फैसले के पीछे कोई मजबूरी है या कोई बड़ी प्लेनिंग ये तो आने वाला वक्त बताएगा। दरअसल जीएसटी पर मोदी सरकार पहली बार दबाव महसूस कर रही थी। 2014 के अंत में लैंड बिल आने के बाद जिस तरह मोदी सरकार विपक्ष सहित आम लोगों के निशाने पर आई और दिल्ली और बिहार में प्रतिकूल राजनीतिक परिणाम आए थे, मोदी सरकार ने तब इस बिल से अपने पैर पीछे खींचते हुए पीएम मोदी ने सरकार और पार्टी का इमेज मेकओवर किया था। इसके बाद पार्टी फिर विजय पथ पर लौटी। इसी तरह जीएसटी पर सरकार को अपने कोर सपोर्टरों से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। तो क्या दीवाली के मौके पर जीएसटी पर कारोबारियों को राहत देकर नाराज कारोबारियों को मनाने में सरकार सफल होगी? इसका जवाब गुजरात चुनाव में मिल जाएगा। आर.एस.एस. ने हाल में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार को सख्त संदेश दिया कि जी.एस.टी. का छोटे कारोबारियों पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ रहा है और अगर समय रहते इन्हें राहत नहीं दी गई तो इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।संघ ने मथुरा की मीटिंग में विस्तार से जीएसटी के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह को जानकारी दी थी। इसके बाद अमित शाह ने इस बारे में पीएम मोदी औरर अरुण जेटली को इस चिंता के बारे में बताया। इसके अलावा गुजरात में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। वहां कारोबारी जीएसटी के पेचीदे कदम से काफी नाराज हैं। इसे देखते हुए सरकार ने चुनाव से ठीक पहले खासकर कपड़े और हीरा कारोबारियों के अलावा एक्सपोर्ट हाउस चलाने वालों को बड़ी राहत दी है।

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