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नवनीत राणा का रण

राणा दंपत्ति का प्रण

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

नवनीत राणा आज अस्पताल से इलाज करवाकर बाहर आईं। अपने खार स्थित निवास पर पहुँचीं। नवनीत राणा ने साफ-साफ कहा कि उन्हें 12 दिन प्रताड़ित किया गया। पुलिस थाने से लेकर जेल तक उन्हें तरह-तरह से तकलीफें दी गई। उनका दर्द साफ झलक रहा था । नवनीत राणा ने उद्धव सरकार से पूछा है आखिर उनका गुनाह क्या है जिसके लिए उन्हेें इस तरह से बेइज्जत किया जा रहा है। कोर्ट ने नवनीत राणा का मुँह सिल रखा है। समझ में नहीं आता कि यह हिन्दू नारी एक सांसद है या एक देशद्रोही आतंकी। जैसा व्यवहार उनके साथ हुआ है वह पूरे तरीके से नाजायज है। समझ से परे है कि एक महिला सांसद पर कोई कोर्ट इस तरह की शर्तें कैसे लगा सकता है। इस तरह की शर्तें तो किसी देशद्रोही पर भी नहीं लगती। मीडिया दुर्दान्त आतंकियों से भी बात करता रहा है। महाराष्ट्र में यह हो क्या रहा है। कौन सरकार है कौन कोर्ट है पता ही नहीं चल रहा। सब शिव सैनिकों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। ऐसे हालातों में नवनीत राणा को उच्चत्तम न्यायालय का रूख करना चाहिए। उच्चत्तम न्यायालय से कुछ उम्मीद बांधी जा सकती हैं। शायद उच्चत्तम न्यायालय को समझ में आए कि नवनीत राणा के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। नवनीत राणा ने अपना प्रण दोहराया है। उन्होंने कहा कि वे अपना अभियान जारी रखेंगी। नवाब मलिक और अनिल देशमुख जैसे भ्रष्ट मंत्रियों से भरी राज्य सरकार आतंक का राज कायम कर रही है। ऐसी स्थिति में अदालतों का रवैया ठीक नहीं है। क्या अदालतों को आँखों के सामने घट रहे घटनाक्रम समझ में नहीं आ रहे। क्या जजों का विवेक काम नहीं कर रहा है। लोगों में जो संदेश जा रहा है वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। राणा दंपत्ति ने कोई अपराध किया नहीं और कोर्ट उन्हें अपराधी कह रहा है। कोर्ट मीडिया से बात करने की उनकी आजादी कैसे छीन सकता है। यह समझ से परे है। अंग्रेजों के जमाने के कानून हटाने होंगे। नए सिरे से कानून बनाने होंगे ताकि अपराधी बच ना पाए और मासूम फँस ना पाए। केवल चुनाव करा देने मात्र से लोकतंत्र कायम नहीं रहेगा। पुलिस के लिए नए सिरे सेे भारतीय दण्ड संहिता तैयार करने का समय आ गया है। अन्यथा, लोभी और स्वार्थी मुख्यमंत्री आतंक मचाते रहेंगे और देश में अराजकता फैलाते रहेंगे। देश में चल रहा जिहाद और जिहादी आतंक इसका भरपूर लाभ उठाता रहेगा। पंजाब में खालिस्तान वाद पनपता रहेगा। पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशियों को बसाया जाता रहेगा।

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