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निरहुआ

निरहुआ और घनश्याम, छा गए राजा राम

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

निरहुआ ने लगभग 9 हजार मतों से हाथी और साइकिल को पस्त कर दिया। घनश्याम लोदी ने रामपुर सीट से सपा के उम्मीदवार को ध्वस्त कर दिया। आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत कोई आसान काम नहीं। रामपुर और आजमगढ़ दोनों जगह मुस्लिम मतदाताओं का जोर है। जिनका भाजपा से विरोध पुरजोर है। इसके अलावा आजमगढ़ सीट पर यादव मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। जिनका भरोसा आज भी मुलायम परिवार पर है। हालाँकि, निरहुआ दिनेश यादव के रूप में भी मैदान में थे किन्तु उनकी साधारण जीत से यह स्पष्ट हो रहा है कि यादव मतदाताओं का रूझान सपा उम्मीदवार धर्मेन्द्र यादव की ओर था। धर्मेन्द्र यादव सदमें में हैं। उन्हें दूर-दूर तक हारने की शंका नहीं थी। वे अपनी जीत पक्की मान कर चल रहे थे। इसलिए, शायद अखिलेश यादव उनके प्रचार के लिए आजमगढ़ नहीं आए। हो सकता है अखिलेश को भी लगा हो कि उनका भाई सीट निकाल लेगा तो ऐसे में आजमगढ़ जाकर जोर दिखाना मुनासिब नहीं। यहीं, वे मात खा गए। हो सकता है कि यदि अखिलेश जीतोड़ प्रचार करते तो शायद जीत जाते। बसपा उम्मीदवार ने भी खासा जोर लगाया। बसपा और सपा की आजमगढ़ सीट पर टक्कर जोरदार रही। कल्पना कीजिए अगर सपा बसपा मिल जाते तो निरहुआ की क्या दुर्गति होती। यकीनन बहुत बुरी दुर्गति होती। इस दुर्गति की वजह मुसलमान-यादव वोटर होता। जिस वोटर के दम पर मुलायम परिवार मूंछें ऐठता रहा है। रामपुर सीट से घनश्याम लोधी की जीत को शानदार माना जा सकता है। वहाँ भी मुस्लिम वोटरों की भरमार है। लोधी वोटरों ने शायद घनश्याम लोधी का जमकर साथ दिया। निरहुआ और घनश्याम की जीत में मोदी और योगी की नीतियों का भी असर है। मोदी और योगी का समर्पित मतदाता दोनों जगह काम आया। लिहाजा, जो दोनों सीटें मुलायम के खाते में हुआ करती थी, वे अब भाजपा की झोली में हैं।

 

 

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