नई दिल्ली (संवाददाता)। केंद्र सरकार ने लंबी लड़ाई के बाद ओबीसी छात्रों को बड़ी राहत दी है। डीओपीटी (डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग) के निर्देश पर एसएससी (स्टाफ सिलेक्शन कमीशन) ने नौकरी शुरू करने से पहले जाति प्रमाण पत्र पेश करने के पेचीदा नियमों में बदलाव किया है। अब कभी भी बने लीगल जाति प्रमाण पत्र को मान्यता मिल जाएगी। अभी तक के नियमों के अनुसार, जाति प्रमाण पत्र परीक्षा फॉर्म भरने के समय से 3 साल पहले तक ही बने होने चाहिए या नौकरी में आने के बाद कैंडिडेट्स को अधिकतम 180 दिनों के भीतर जाति प्रमाण पत्र देना होता है।
जाति प्रमाणपत्र बनाना पेचीदा-ओबीसी छात्रों का तर्क था कि जाति प्रमाण पत्र बनाना पेचीदा होता है। इसमें कई प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। ऐसे में एक बार बने प्रमाण पत्र को ही वे मान्य करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि लाखों स्टूडेंट्स को काफी परेशानी हो रही थी। एसएससी ने यह भी साफ किया है कि 23 जनवरी 2017 से पहले जो सरकारी नौकरियों में सफल हो चुके हैं और वे किसी मंत्रालय-विभाग में काम कर रहे हैं, उनसे जाति प्रमाण पत्र नहीं मांगे जाएंगे। दरअसल पिछले साल पुराने कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि उनसे अब जाति प्रमाणपत्र मांगे जा रहे हैं। सरकार ने साफ किया है कि अब ऐसा नहीं होगा। दरअसल हाल में ओबीसी से जुड़ा जाति प्रमाण पेश करने के मामले में ओबीसी छात्रों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया कि सैकड़ों लोगों को अपनी नौकरी सरकार की कठिन शर्त के कारण गंवानी पड़ी। कई मामलों में कानूनी लड़ाई में भी फंसे हैं। संसद में भी यह मामला उठा था। पीडि़त स्टूडेंट्स ने इस मामले में जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था। डायरेक्ट नियुक्ति की सीमा पर अंकुश-वहीं केंद्र सरकार ने नौकरियों में मनमाने तरीके से होने वाली नियुक्ति को बंद करने का फैसला किया है। नई गाइड लाइंस के अनुसार, अब डायरेक्ट नियुक्ति की संख्या किसी भी डिपार्टमेंट या मंत्रालय में 2 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पाएगी। इस सीधी नियुक्ति के लिए नए मानक बनेंगे। सरकार ने इसके लिए एक सीमा तय कर दी है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग की ओर से जारी निर्देश के अनुसार, अब डायरेक्ट नियुक्ति के लिए कुल तय सीट में एक साल के भीतर अधिकतम 2 फीसदी सीटों पर ही नियुक्ति हो सकती है। इसे सभी मंत्रालय और विभागों में लागू कर दिया जाएगा। मालूम हो कि इससे पहले भी एनडीए सरकार में 1999 में यही सिस्टम लागू किया था, लेकिन बाद में यूपीए सरकार ने बदलकर इस सीमा को समाप्त कर दिया था। आरोप लग रहे थे कि अपने पसंद के लोगों को नौकरियों में रखने के लिए इस सुविधा का गलत इस्तेमाल हो रहा है और ऐसी नौकरियां खास लोगों के विवेक पर निर्भर रहती हैं। सरकार इन नौकरियों के लिए स्वतंत्र पैनल भी बनाएगी, जो इन पदों को भरेगी। वैकेंसी की पूरी लिस्ट मांगी गई-डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों और विभागों से खाली पड़े पद के बारे में डिटेल सूचना देने को कहा है। इसमें कितने पद, कितने दिनों से खाली हैं और प्राथमिकता के आधार पर किन पदों को भरा जाए, इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट मिलने के बाद इसे एसएससी को ही दिया जाएगा, ताकि खाली पद तुरंत भरे जाएं। सूत्रों के अनुसार इसके तहत एसएससी को तत्काल 1 लाख से अधिक पद भरने के लिए परीक्षा का आयोजन करना पड़ सकता है। मतलब चुनावी साल में सरकारी नौकरियों की भरमार लग सकती है।
Thanks for shares.
Thanks for shares.
Thanks for share.
Thank you for shares.
Thanks for shares.
Thanks for shares.
yes lol okay
Hello your website is so good.
Morbi vitae condimentum turpis, vestibulum dignissim leo.
Thank you very much.
Thanks for shares.
Thanks for shares.
Thanks for share.
Thanks for shares.
thanks for shares
Thanks for share
Thanks for share.
Thanks for shares
Thanks for shares
Best Google News Blog
Shit website
Demek paramı alır banlarsınız beni
Thanks for share.
Thanks for shares.
Love you
Thanks man