-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
सौंग नदी देहरादून का भविष्य है। सौंग नदी जिन्दा रहेगी तो देहरादून जिन्दा रहेगा। यह नदी दूनघाटी की सबसे बड़ी नदी है।
जिसमें अभी भी साफ पानी सालभर बहता है। हालाँकि, यह पानी साल दरसाल कम होता जा रहा है। यह चिंता का विषय है। इसमें साफ पानी कम होने की रफ्तार यही रही तो 5-7 साल में यह नदी भी नाला बन जाएगी। उत्तराखण्ड की सरकार को आँखें खोल लेनी चाहिएं।
जहाँ सौंग नदी का उद्गम है वहाँ दूर-दूर तक वृक्षारोपण अभियान चलाया जाना चाहिए। पानी रोक कर रखने वाली जड़ों वाले पेड़ लगाए जाने चाहिए। इस नदी के दोनो ओर स्थाई मकान नहीं बनाए जाने चाहिए। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुन्दर अस्थाई हट बनाए जाने चाहिए। मालदेवता बहुत सुन्दर जगह है। मालदेवता क्षेत्र में इस तरह के निर्माण जो जल संग्रहण में बाधा बनते हैं, नहीं होने चाहिए। अभी कुछ रोज पहले मालदेवता में बादल फटने से बाढ़ आई। जिसमें धन जन की हानि हुई। इसीलिए इस क्षेत्र में निर्माण कार्य वैज्ञानिक तरीके से होने चाहिए। सख्ती से नियम लागू होने चाहिए। पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ऐसे पुल बनने चाहिए जो भारीभरकम ना हों लेकिन आवाजाही के लिए उपयुक्त हों और सौन्दर्य को बढ़ावा देने वाले हैं। सौंग नदी की घाटी संवेदनशील घाटी है। इस घाटी की संवेदनशीलता को ध्यान में रख कर ही विकास होना चाहिए। सौंग नदी पर कम से कम तीन जगह छोटे बाँध बनाए जाने चाहिए। ये बाँध नौकायन के लिए भी उपयुक्त होंगे। पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे। सौन्दर्य के हिसाब से भी आकर्षक होंगे। इसके अलावा इन बाँधों को बाढ़ के हालात में बाढ़ नियंत्रण के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।