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नंदी के भोले शंकर जिहादियों के लिए कंकर

गंगा किनारे हर-हर महादेव पुकारे
वीरेन्द्र देव, पत्रकार, देहरादून
इतना बड़ा प्रमाण मिल जाने के बाद भी जिहादी सेना झुकने को तैयार नहीं। यही है जिहाद। जो झुक जाए वह जिहाद नहीं। भारत को समझना पड़ेगा कि आज भी जिहाद का दौर चल रहा है। इस वायरस को मारे बिना भारत की उन्नति का कोई मायना नहीं। इस वायरस को मारना पड़ेगा। जिसके लिए पहला चरण यही है कि सुल्तानों और मुगलों के समय में तोड़े गए एक-एक मंदिर को वापस लिया जाए। दूसरे चरण का निर्धारण इसके बाद हो जाएगा। इस मार्ग में आने वाली राजनीतिक पार्टियों को धोने के लिए भारत माता के लाड़लों को जागना पड़ेगा। श्रीराम और शिवशंकर के भक्तों को उठना पड़ेगा। किसी भी बाधा का सामना करना पड़ेगा। चाहे इसके लिए संविधान में सशोधन ही क्यों ना करने पड़ें। संविधान देश के लिए होता है देश संविधान के लिए नहीं। देश जीवित रहेगा तो संविधान बनते रहेंगे। देश हिन्दू के जीवित रहने से जीवित रहेगा। देश हिन्दू के बहुसंख्यक रहने से जीवित रहेगा। दुष्टिकरण कर रहे सभी राजनीतिक दलों को सबक सिखाना पड़ेगा। रोजगार की समस्या और महंगाई की समस्या हर युग में मौजूद रहती है। इन समस्याओं को रोड़ा नहीं बनने देना है। पूरे देश को मुख्य धारा में लाना है। काशी मेें औरंगजेब द्वारा तोड़े गए मंदिर के कितने ही प्रमाण क्यों ना मिल जाएं। मस्जिद वाले मानेंगे नहीं। उनका सिद्धांत जिहाद पर निर्भर है। भाईचारे की बात करना उनका पैंतरा मात्र है। हमें ऐसे पैंतरों में उलझना नहीं है। बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान करना है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ शाँति से रह पाएं। भले ही मौजूदा पीढ़ियों की शाँति भंग हो जाए। तो इसे होने दो। हम और अधिक नहीं सह सकते। हमारी कई पीढ़ियों ने सहा है। ऐसी सहनशक्ति का कोई लाभ नहीं। अगर काशी की अंजुमन कमेटी शिवलिंग जैसा ठोस प्रमाण मिल जाने के बाद भी विनम्रता का परिचय नहीं दे रही है और ताल ठोक रही है तो समझ लेना चाहिए कि समस्या बहुत विकराल है। देश में शाँति कायम तभी होगी जब जिहाद का समूल नाश होगा। जिहादाना वातावरण समाप्त होगा। तभी हिन्दू और मुसलमान मिलकर रह पाएंगे। जहाँ-जहाँ सुल्तानों और मुगलों ने मंदिर तोड़े हैं उसके प्रमाण तमाम पुस्तकों में मौजूद हैं। यहाँ तक कि ताज महल की बुनियाद में भी शिवलिंग मौजूद है। क्योंकि ताल महल की जमीन जिन राजाओं की थी वे शिव भक्त थे। समस्याओं को दरी के नीचे ढ़क देने से काम नहीं चलेगा। समस्याओं को पालने से देश में शाँति कायम नहीं रहेगी। 1991 का कांग्रेस का कानून फसाद की नई जड़ है। इस जड़ को उखाड़ फेंकना होगा ताकि इस समस्या के स्थाई समाधान में किसी को बहाना ना मिले। भारत में हिन्दू संस्कृति और धर्म एक सिक्के के दो पहलू हैं। इस सनातन सच को कब तक नकारते रहोगे।

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