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नितिन गड़करी के किस्से(कविता)

-नेशनल वार्ता न्यूज और युगीन संवाद से साभार
परम् पूज्य हनुमान जी ने
साध ली थी समुद्र सी खाई
राम काज की थी
मन में अमिट धुन छाई
मोदी जी के हनुमान नितिन
जुटे हो तुम रात दिन
कहीं पर्वत कहीं खाई
कहीं नदी विकराल भाई
कहीं समुद्र की गहराई
जंगलों बीहड़ों में
पसरी थी जहाँ तनहाई
सुरंगों-सड़कों की माया
पुलों की बरसात आई
वैज्ञानिक विचार धारी
किफायती चमत्कारी
तन मन जतन वतन की
साधना अटूट जारी
नेतृत्व मोदी जी का
झलक रहे हैं अटल बिहारी
कायाकल्प को तुम
कर रहे हो तैयारी
पर्यावरण की स्वच्छता से
वाहन क्रांति की करोगे अगुवाई
वाह ! नए भारत के नितिन करिश्माई
हे सँवरते सुधरते चमकते सड़क परिवहन के
पवन पुत्र सम बल-वेग धारी
मोदी कैबिनेट के मास्टर मंत्री स्तुति है, यह तुम्हारी।

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