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त्रिवेन्द्र सरकार की नीति ‘‘कम शोर काम पर जोर’’

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उत्पल कुमार सिंह और अनिल रतूड़ी की करामती जोड़ी

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए खींची गई लक्ष्मण रेखा
प्रवासी मजदूर फँस गए जहाँ-तहाँ हमने असहाय होकर देखा
काम रुक गए छिन गए रोजगार मजदूर हुआ अनदेखा
भुखमरी की कगार पर पहुँच गए ये लोग सबने इन्हें लाचार देखा
ज्यादातर मजदूर अपने घरों से दूर
छटपटा कर रह गए होकर मजबूर
रोजी-रोटी छिन गई छूट गए घर-बार
दिल टूट गए किस्मत के रस्ते रूठ गए
केन्द्र सरकार ने लिया फैसला दिलदार
सोचा सरकार ने पिस कर रह गए बेचारे कामगार
राज्य सरकारों को मिली प्रवासियों को लाने-ले जाने की अनुमति
कहा गया बसों से पहुँचाओ मजदूरों को उनके घरों को
पीड़ा उनकी और न बढ़ने पाए
इसके साथ-साथ उन्हें कोरोना से भी बचाया जाए
लिहाजा, मुख्यमंत्री ने घोषणा की एक वेबसाइट की
जिसमें धड़ाधड़ रजिस्ट्रेशन हैं हो रहे
मुख्य सचिव उत्पल कुमार हैं विश्वास से कह रहे
प्रवासियों को लाया और ले जाया जाएगा
पाँच हजार बसों को चाहे लगाया जाएगा
डीजीपी अनिल रतूड़ी भी मुस्तैद हैं इस मोर्चे पर
राज्य सहायता केन्द्र के नोडल अधिकारी शैलेश बगौली सतर्क हैं
वह परिवहन विभाग के दरअसल सचिव हैं
पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल हमेशा की तरह जुटे हैं
वह पुलिस की ओर से राज्य सहायता केन्द्र से जुड़े हैं
राज्य सहायता केन्द्र का कहना है
पैंतीस हजार से ज्यादा प्रवासियों को लाना-ले जाना है
लाते समय और ले जाते समय इनका परीक्षण होगा
मंजिल पर पहुँचने पर भी फिर परीक्षण होगा
जो स्वस्थ होगा उसे भी उसी के निवास पर पहुँचाकर
किया जाएगा चौदह दिन के लिए अलग-थलग
जिसे अंग्रेजी में क्वारंटीन करना है कहा जा रहा
किन्तु, यह काम नहीं है आसान
खासकर उनके लिए जो केवल एक या दो कमरों में रहते हैं
रोज खाने के लिए रोज कुआँ खोदते हैं
भले ही त्रिवेन्द्र सरकार के लिए दूसरे कुछ राज्यों से चुनौतियाँ कम हैं
मगर, भयानक कोरोना में बहुत दम है
राज्य सरकार के पास समर्पित अफसरों का दमखम है
इस काम में लेकिन पग-पग पर जोखिम हैं
दूसरे राज्य रेलगाड़ियों की फरमाइश है कर रहे
किन्तु हम उत्तराखंड वाले चीखने-चिल्लाने के बजाय बसों पर ही भरोसा कर रहे
फिर भी केन्द्र चाहे तो राज्य सरकार रेलगाड़ियों के लिए भी है तैयार
ऐसा लगता है राज्य-सरकार प्रवासी मजदूरों के इस काम में नम्बर वन रहेगी
आज झुग्गीवाला कह रहा है कल शायद दुनिया कहेगी
माँ गंगा यहीं से बहती है और यहीं से बहती रहेगी।

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https://dsclservices.org.in/uttarakhand-migrant-registration.php

फँसे कामगारों के रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट ताकि ऐसे कामगार रजिस्ट्रेशन करवाकर अपने-अपने घर ले जाए जा सकें।

धन्यवाद।                                                           सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून

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