
मर मिटूँ राष्ट्र पर मैं
तेरी ज्योति में समा जाऊँ
आँखों में तेरी मूरत भर
हृदय में तेरी सूरत धर
चरणों में तेरे मत्था रख
उस रस्ते पर में बढ़ जाऊँ
बढ़ते-बढ़ते मिट जाऊँ
अन्दाज मेरा कुछ भी हो पर
माँ भारती का सपूत मैं कहलाऊँ
कसम तेरे धर्म अमर जवान ज्योति की मैं
किस्मत पर अपनी इठलाऊँ
-वीर
National Warta News