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उत्तराखण्ड के जल संसाधन

उत्तराखण्ड की सरकार को अपने स्तर से उत्तराखण्ड जल संसाधनों का लेखा जोखा तैयार करना चाहिए। जल संसाधनों में बड़ी नदियाँ, छोटी नदियाँ, पहाड़ी झीलें, ग्लेशियर, ताल तलैया के साथ-साथ पानी के झरने भी आते हैं। अगर ऐसी कोई विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो जाए तो जल संसाधनों का सदुपयोग करना आसान हो जाएगा। ऐसा करना बहुत जरूरी है। उत्तराखण्ड के ग्लेशियर कितना पानी समेटे हुए हैं। वर्ष भर में इन ग्लेशियरों का घटना बढ़ना किस तरह होता है। यानी मौसम के हिसाब से इन ग्लेशियरों का अध्ययन होना चाहिए। ऐसी पर्वतीय झीलें जो ग्लेशियर की पानी से बनी हैं। इन झीलों का भी अध्ययन होना चाहिए। ऐसी झीलों का भी अध्ययन होना चाहिए जो पहाड़ की चोटियों पर संवेदनशील स्थानों पर बनी हैं। ये झीलें कभी-कभी बहुत अधिक पानी इकट्ठा हो जाने के कारण खतरनाक सिद्ध होती हैं। मान लीजिए इन झीलों के ऊपर कभी बादल फट जाए तो क्या ये झीले अतिरिक्त पानी संभाल पाएंगी। कदापि नहीं संभाल पाएंगी और विध्वंस ला देंगी। इसी लिए इन झीलों का अध्ययन बहुत जरूरी है। हम 2013 में केदारनाथ आपदा सह चुके हैं। इसमें भी केदारनाथ के ऊपर पहाड़ियों की चोटी में ग्लेशियर के पानी से एक झील बनी थी। इस झील के ऊपर बादल फटा था और जो तबाही सामने आई उस तबाही से हम परिचित हैं। इसी तरह की तबाहियों से हमें बचना है। इसीलिए कहा जा रहा है कि उत्तराखण्ड के जल संसाधनों का पूरा अध्ययन होना चाहिए। राज्य की प्रगति चौतरफा प्रगति के लिए हमें पता होना चाहिए कि हमारे पास कितना रूका हुआ जल और कितना बहता हुआ जल है। हमें यह भी पता होना चाहिए कि राज्य में कितने झरने हैं। क्या इन झरनों के पानी का सदुपयोग हो रहा है। पानी दो तरह से आने वाले दशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है। एक वह जो ऊपर से बरसेगा। इसे हमें कैसे संभालना है इसके लिए भी तैयार होना पड़ेगा। यह बहुत जटिल काम है। कम से कम हम इतना तो कर सकते है कि राज्य में झरनों के रूप में हमारे पास कितना जल है और उसमें से कितना जल उपयोग में आ रहा है और कितना बर्बादी की भेंट चढ़ रहा है। जब तक राज्य सरकारें मौलिक सोच का परिचय नहीं देंगी और सोचने की आदत नहीं डालेंगी तब तक जल संसाधनों का नाश होता रहेगा। राज्य के झरनों का एक-एक कर विलुप्त होते चले जाना इस बात का प्रमाण है कि हम हमारे सोचने के तरीके में कहीं गड़बड़ है। क्या उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ऐसी किसी मौलिकता का परिचय देना चाहेंगे। देश का भविष्य हमारी मौलिक सोच पर निर्भर करता है उधार की सोच पर नहीं।

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