
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
(श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष- पूज्यपाद गोपालमणि जी को समर्पित)
ग्वाल गोपाल हमारी
विपदा अति भारी
दूर करो मुरलीधर बिहारी।
जिस गऊ के खुर
तुम चूमते थे
करील कुंज कदम्ब तले
तुम झूमते थे
ग्वाल-बाल संग जमुना में तुम कूदते थे
वही गऊ आज हे देवकीनन्दन
दर-दर देखो भटक रही है
तेरे देशवासियों को खटक रही है।
जिस गऊ माता बिन
हिन्दू सभ्यता अधूरी
कभी हिन्दू सभ्यता से पनपी दुनिया पूरी
हिन्दू की गाय से बढ़ती दूरी
हर लो हरि यह विकट मजबूरी।
कुरूक्षेत्र के बीच खड़े होकर
जिस विशाल भारत को तुम
एक धागे में पिरो गए थे
ओर से छोर को तुम मिला गए थे
सखा अर्जुन को यह पाठ पढ़ा रहे थे
आप से विमुख होकर वह भारत लघु रह गया है
पीड़ा का सागर प्रभु भर गया है।
अपने इस देश को हे मधुसूदन
फिर से प्रभु तुम एक कर दो
पूज्य गोबर्धन पर्वत समझकर
हमारे दुःख प्रभो दूर कर दो
गऊ माता का मर्म जगत कल्याणी
भारत भूमि से उठी एक महान
तपस्वी की ओजस्वी वाणी
पूज्य गोपालमणि जी की प्रभो गऊ कथा गंगा
साक्षात देवों की सरस पुण्य-वाणी ।
National Warta News