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पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 42 जवानों की शहादत पर शत-शत नमन: स्वामी चिदानंद

-सायः परमार्थ गंगा आरती पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को समर्पित

ऋषिकेश। (दीपक राणा)। पुलवामा हमले में शहीद हुये सीआरपीएफ ( अर्द्धसैनिक बल) के 42  जवानों को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदनन्द सरस्वती जी ने कहा कि देश के उन सभी वीर योद्धाओं की देश भक्ति और पुरूषार्थ को नमन जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। पुलवामा हमला आतंकवाद का एक बर्बर चेहरा है और वर्तमान समय में यह न केवल किसी एक राष्ट्र के लिये बल्कि पूरी दुनिया के लिये एक बड़ा खतरा बन कर उभरा है अतः सभी राष्ट्रों को मिलकर एक ठोस रणनीति बनाकर आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिये एकजुट होना होगा क्योंकि किसी भी एक राष्ट्र के लिये आतंकवाद का सामना करना मुश्किल है परन्तु सभी राष्ट्र मिलकर इस वैश्विक समस्या का समाधान करंे तो निश्चित रूप से इसे समाप्त किया जा सकता है। आतंकवाद किसी एक राष्ट्र की समस्या नहीं है बल्कि पूरे विश्व की है। अगर पूरा विश्व आतंकवाद से घिरा होगा तो कोई भी व्यक्ति और राष्ट्र इस समस्या से अछूता नहीं होगा। किसी भी एक विचारधारा को आधार मानकर प्रसारित की गई सुनियोजित हिंसा ही आतंकवाद का रूप ले लेती है। आतंकवाद के मूल में या तो अपनी श्रेष्ठ्ता की भावना होती है या विरोध की, यह एक सुनियोजित हिंसा का रूप है परन्तु इसके परिणाम व्यापक और वैश्विक होते हैं। भारत तो हमेशा से ही आतंकवाद के खिलाफ रहा है और आतंकवाद को समाप्त करने के लिये आवश्यक कदम भी उठा रहा है। भारत का हमेशा से ही उदेद्श्य शान्ति की स्थापना रहा है लेकिन अब इसके लिये दुनिया के अन्य सभी राष्ट्रों को भी समर्थन देना होगा ताकि पुलवामा जैसे हमले की पुनरावृत्ति न हो इसके लिये जरूरी है वैश्विक शान्ति का विस्तार करना क्योंकि पुलवामा जैसे हमले हमें फिर यह सोचने-विचारने का मौका देते है कि कैसे आने वाली पीढ़ियों को वसुधैव कुटुम्बकम् से जोड़े ताकि वैश्विक हिंसा को समाप्त किया जा सके। भारत हमेशा से ही शान्ति, अहिंसा, सहिष्णुता तथा लोकतंत्र को मानने और अनुसरण करने वाला राष्ट्र है इसलिये भारत हिंसा के सभी स्वरूप का विरोध करता है। आतंकवाद और हिंसा जैसी घटनायें महज एक हिंसात्मक गतिविधि नहीं है बल्कि यह व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा सुरक्षा के ताने बाने पर हमला कर देश के सतत विकास में बाधक बनती है। आतंकवाद और हिंसा का प्रत्येक स्वरूप व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र के लिए घातक है इसलिये आईये मिलकर शान्ति का विस्तार करें।


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