
तिरंगे का केसरिया रंग
अंगारे बनकर
तुम्हारी नस-नस का खून खौलाता है।
तिरंगे की हरियाली
मन में उतरकर
मन में हरे-भरे खेत लहराती है।
तिरंगे की सफेदी
सफेद सूरज बनकर
सियाचिन की बर्फ को
गर्माहट से भर देती है।
तिरंगे के तीन रंगों में
सजे सम्राट अशोक के चक्र में
तुम श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र सुशोभित पाते हो।
आसमान से आतीं
बर्फ की बौछारों पर
तुम हर-हर गंगे गाते हो।
सियाचिन रण के रणवीरो
तुम भारत माता के लाड़ले-लाल कहाते हो
तम्हे पूजने पर तो महावीरो
भारत माता हमारी मुस्काती है
तुम्हे आशीष देने को माता पल-पल दोनों हाथ उठाती है।
VIRENDRA DEV GAUR
CHIEF-EDITOR
National Warta News