
राष्ट्र गान पर बढ़े कदम 
पीछे क्यों खींचे 
राष्ट्र आन पर बढ़े कदम 
पीछे क्यों खींचे 
राष्ट्र शान पर बढ़े कदम 
पीछे क्यों खींचे 
राष्ट्र जान पर बढ़े कदम 
क्यों ठिठके 
क्यों ठिठके।
यदि अधिनायक 
राष्ट्र गान का
जान से बढ़कर प्यारा तिरंगा है 
तो फिर इस गणतंत्र देश में 
राष्ट्र गान पर ये कैसा पंगा है।
राष्ट्र गान अन्तर-आत्मा का 
अमृत-राग हमारा है 
शर्म जिसे गाने में इसको 
वह पहला बैरी हमारा है 
भारत माता की छाँव में 
जिस मानव को रहना है 
राष्ट्र गान गाना है उसको 
जय भारत माँ कहना है।
कोई भी हो केन्द्र की सरकार 
जो भी हो उच्चतम न्यायालय का अधिकार 
राष्ट्र गान पर करोगे रार 
तो 
जनता की अदालत में पड़ेगी जूतों की मारा।
Virendra Dev Gaur
Chief-Editor
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