
जन सेवा समिति की घाटी में चाय की पहल
देखो तो
खुद देखो इसको
यह है नन्हा बच्चा
सुबह-सुबह की ठंडी को देखो दे रहा है गच्चा
बढ़-चढ़कर खुद चाई बनाता
टोली के आगे-आगे बढ़ जाता
गरम-गरम चाई पिलाता
इसने तो छोटी उम्र में अच्छी शिक्षा पाई
ठंड से ठिठुरते लोगों को पिलाता गरम-गरम चाई
अपने पिता के संग आया है बन कर उसका भाई
सच कहा किसी ने मेरे भाई
जो नहीं कर सकता लम्बा चौड़ा पहाड़
वह कर सकती है नन्ही राई
ठिठुरती ठंड में जन सेवा समिति की टोली आई
छोटा बच्चा बना है नायक
ठंड बनी खलनायक
पर बंधु टोली की हर माई हर बच्चा बने हैं असली नायक
परोपकार की यही सोच बनाती है हमको बंधु लायक।
-जय भारत
National Warta News