
पर जोर क्यों है सिर्फ रहीम का
ढाई हजार साल पहले तक रहा भारत केवल राम का
हुआ फिर राम, महावीर और श्री बुद्ध का
आगमन हुआ तब श्री ईसा मसीह का
और फिर लगभग पन्द्रह सौ साल पहले उदय हुआ रहीम-रहमान का
शुरू हुआ युग नए भारत में भगवानों के संग्राम का
तेरे भगवान मेरे खुदा की अहमियत और अरमान का
तकरीबन साढ़े तीन सौ बरस पहले वाहे गुरु के बखान का
युग हुआ शुरू फिर नए भारत के निर्माण का
आतताइयों से मुक्त भारत के अनुसंधान का
लेकिन अब चर्चा भी है और उथल-पुथल भी है
जोर, जबर्दस्त है चारों ओर केवल रहीम-रहमान का
लग रहा है बन्धु अब ऐसा कि राम का दर्जा हुआ मेहमान का
सुधीर का न सदानन्द का असर दिखता है अब सलीम और सलमान का
झूठ लगता है कानों को अब कि भारत है राम और रहीम का
फरेब लगता है कहना-सुनना जयघोष श्री हनुमान का
दुष्ट कोरोना से चल रहे महा-संग्राम में
कमी नहीं आई ज़रा भी रहमान-रहीम के रुझान में
तनातनी का आलम बन्धु यह है
एक अकेला जिहादी मौलवी साद भारत के खिलाफ डटा है मैदान में
जिहाद का छद्म-युद्ध (गोरिल्ला-युद्ध) जोरों पर है सड़क से लेकर शमशान में
मुल्लों-मौलवियों के जिहादी हथकंडों की धमक है पूरे जहाँन में
धर्म-निरपेक्षता की दरकार है केवल राम के बलिदान में
मुरादाबाद में डा0 सुधीश चंद की कुटाई जरूरी है भारत के विधान में
टुकड़े-टुकड़े गैंग के गैंगस्टरो कहाँ छिपे हो खेत में या खलिहान में
अफजल गुरु और बाटला हाउस के हमदर्दो रोम में हो या ईरान में
कोरोना-वीरों की दुर्दशा पर क्यों मुँह पर ताले जड़ लिए तुमने
भारत के खिलाफ कौन सी साजिश रच रहे हो तुम इस कोरोना-संग्राम में।
धन्यवाद। सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, देहरादून
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