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जोशीमठ के पीड़ितों को न्याय

-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ पीड़ितों को किराए के लिए प्रति माह चार हजार रूपये देने का आश्वासन दिया है। इन पीड़ितों को फिलहाल किराए के मकानों में रहना पड़ेगा। जोशीमठ के जो मकान दरारग्रस्त हो चुके हैं और भूमि धँसाव की चपेट में हैं उनके लिए राज्य सरकार यह व्यवस्था कर रही है। क्योंकि ये मकान किसी भी समय ध्वस्त हो सकते हैं। सही समय पर सही निर्णय लिया गया है। पहाड़ के वर्तमान हालातों के मद्देनजर चार हजार की राशि कम है या पर्याप्त है-यह बहस का विषय हो सकता है। किन्तु सरकार का निर्णय उचित ही माना जाएगा। जोशीमठ के आधार पर अलकनंदा के किनारे परियोजनाओं के निर्माण के चलते यह स्थिति पैदा हुई है। उत्तराखण्ड का यह हिस्सा अति संवेदनशील माना जाता है। यहाँ की चट्टानें यानी पहाड़ वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत पुराने नहीं हैं। ये सब फोल्ड माउंटेन हैं जिनकी चट्टाने बहुत मजबूत नहीं होती। इसके अलावा भूकंप की दृष्टि से भी यह क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। विकास के लिए परियोजनाओं का होना बहुत आवश्यक है। यह एक मजबूरी है। इसी मजबूरी का नतीजा है जोशीमठ का लगभग आधा हिस्सा उजड़ने की कगार पर है। भारत सरकार और राज्य सरकार को विकास कार्योें को शुरू करने से पहले इन बातों पर दूरगामी नजरिए से गौर करना चाहिए। विदित रहे कि उत्तराखण्ड में कई बड़े विकास कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। इन विकास कार्यों में भूमिगत सुरंगे बनाई जाती हैं जिसके लिए पहाड़ों को उधेड़ना पड़ता है। इन विस्फोटों का नतीजा यह होता है कि चट्टाने ढीली पड़ जाती हैं और असुंतलित होते ही धँसाव का शिकार हो जाती हैं। इन विकास कार्यों के कारण भूस्खलन को भी बढ़ावा मिलता है। यदि पहाड़ों को अछूता रहने दिया जाए तो सड़कें और बाँध कहाँ बनेंगे। बारहमासा सड़क भी ऐसी ही एक बड़ी परियोजना है जो युद्ध स्तर पर चल रही है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाईन बिछाई जाएगी इसके लिए भी पहाड़ोें को उधेड़ना पड़ेगा। सड़कों के निर्माण के लिए भी वनस्पति का बलिदान लेना पड़ता है। इन विकास कार्यों का पर्यावरण पर बुरा असर तो पड़ता ही है। लेकिन इस खतरे को मोल लिए बिना विकास कार्य संभव नहीं है। हमें पर्यावरण, पारिस्थितिकी और वनस्पति के साथ विकास कार्यों का संतुलन तो बनाना ही पड़ेगा। राज्य सरकार जोशीमठ के पड़ितों की हर संभव मदद करने की कोशिश कर रही है। सचमुच, पीड़ित लोगों को इस समय हर तरह की सहायता चाहिए। राज्य सरकार को अपनी ओर से पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए ताकि मानव निर्मित इस आपदा का सफलता के साथ सामना किया जा सके।


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