-परमार्थ निकेतन अमेरिका से स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने दी देशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।।
-परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनायी कृष्ण जन्माष्टमी।।
ऋषिकेश (दीपक राणा) । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अमेरिका की धरती से देशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आप सभी के जीवन में, अंतःकरण में भगवान श्री कृष्ण के जीवन जीने का अन्दाज, जीवंतता, शुद्धता, शुचिता, जीवन का रास, रंग, उमंग, तरंग और उल्लास उतरे। आज वह पावन अवसर है जब हम भगवान श्री कृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में धारण करें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री कृष्ण ने युद्ध भूमि में गीता का दिव्य संदेश दिया, कर्तव्य पालन का बोध कराया, वीरों से भरी सभा में खो रही नारी की अस्मिता की रक्षा का संदेश दिया और नारी की अस्मिता की रक्षा के लिये स्वयं आगे आये, राजा होकर भी अपने मित्र सुदामा के पैर पखारे, उनके घर से लाये मुठ्ठी भर चावल खाकर उनका मान बढ़ाया और सभी को सादगी, सहज और सरल जीवन जीने का संदेश दिया।
भगवान श्री कृष्ण के जीवन की सबसे सुंदर शिक्षा यह है कि कभी भी बाहरी परिस्थितियों के कारण अपने आप को मत खोना, कभी भी अपनी मुस्कुराहट को मत खोना, अपना गीत कभी मत खोना। भगवान कृष्ण का जीवन जन्म के समय परीक्षा और क्लेश से भरा हुआ था। उन्होंने जेल की एक बंद कोठरी में जन्म लिया। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन भर अनेक संघर्ष किये, उनके सामने असंख्य चुनौतियां आयी परन्तु उन्होंने हमेशा अपनी दिव्य मुस्कान को बनाए रखा। उन्होंने हमेशा अपनी दिव्य बांसुरी की तान को भीतर जिन्दा रखा। भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी का गीत हमेशा बजता रहा वे जहां भी गये उनका गीत उनके साथ ही थे। उन्होंने कभी नहीं कहा, “मैं आज बुरे मूड में हूं इसलिए मैं अपनी भीतरी बांसुरी नहीं बजाऊंगा।“ यह हमारे अपने जीवन के लिए एक सुंदर संदेश है कि परिस्थितियां कैसी भी हों परन्तु हम अपने जीवन का संगीत हमेशा जिन्दा रखेंगे, अपने जीवन को महोत्सव बनाये रखने का प्रयास करेंगे।
श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर प्रकृति को सम्मान दिया, प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया। विषधारी कालिया नाग के विष से यमुना जी को मुक्त कराया ताकि दुनिया जल की महत्ता को स्वीकार करें तथा जल को शुद्ध, स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त रखे। भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा कर हमें यह संदेश दिया कि ईश्वर सृष्टि के कण-कण में निवास करते हैं, अतः प्रकृति की पूजा ही ईश्वर की पूजा है। प्रकृति को संरक्षित करने, सम्मान देने और पुनर्जीवित करने में मदद करना हमारा परम कर्तव्य है इसलिये हम पर्व व उत्सवों के अवसरों पर पौधों को रोपित करने का संकल्प अवश्य लें।
आईये आज जन्माष्टमी के पावन अवसर पर प्रभु द्वारा दिये गीता के संदेश को अपने जीवन का पाथेय बनाये। सभी के जीवन में देवत्व का अवतरण हो।’’जन्माष्टमी उत्सव के साथ अपने जीवन को भी महोत्सव बनाये यही इस पर्व का आशय है। भगवान कृष्ण हम सभी को खुशी, शांति और सद्भाव का आशीर्वाद प्रदान करें और सारी चुनौतियों से उबरने और बदलावों को स्वीकार करने के शक्ति प्रदान करंे।
परमार्थ निकेतन में गुरूकुल के ऋषिकुमार और परमार्थ परिवार ने मिलकर धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया। आज श्री कृष्णजन्माष्टमी के अवसर पर परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये।