
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
तीन लोक की साधना 
असंभव है यह कार्य 
साधा जिसने कार्य यह 
साक्षात भगवान कहलाया वह।
मरा-मरा जपता गया 
हुआ राम-मय आप 
तीन लोक का सारांश मिला 
चमत्कार कर गया जाप। 
जिस राम नाम के सार से 
मिटा डाकू-मन का पाप 
राम नाम का ऐसा प्रताप 
निखर गया अज्ञानता का सारा ताप।
डाकू को जो मिले थे 
दुखी-पीड़ितों के श्राप 
पाप कर्म सब धुल गए
ज्ञान कुंड लबालब भर गए 
श्री वाल्मीकि को ज्ञानी बना गए 
श्री राम नाम के स्नेह भरे निरन्तर जाप। 
कृपा सिंधु श्री राम भए 
मानव-मर्यादा के पावन धाम 
जगत के पहले ऐसे दिव्य पुरुष हुए 
सभ्यता-संस्कार के प्रतिमान 
धरती माता के सुत सर्व-शक्तिमान 
माता कौशल्या के लाल परम बुद्धिमान
मानव संस्कृति की आदि पहचान 
धीरज धर्म और परोपकार की खान 
ऐसे तीन लोक के परम तेजस्वी सियाराम को
मन-जतन से साध गए पूज्यपाद वाल्मीकि भगवान। 
                                                -इति
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