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योगी की पुलिस पूजा

-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पुलिस का बहुत ध्यान रखते हैं किन्तु भ्रष्टाचार पर पुलिस को भी ठोक कर रख देते हैं। पुलिस क्षेत्राधिकारी विद्या किशोर शर्मा ने एक चंगुल में फँसे व्यक्ति से भारी-भरकम रिश्वत लेनी चाही। मामला 2021 का है। यह पुलिस अफसर मामले के निपटारे के लिए बड़ी रकम माँग रहा था। लेकिन पीड़ित ने गिड़गिड़ाते हुए पाँच लाख में मान जाने की गुहार लगाई थी। वीडियो से स्पष्ट हो रहा है कि पीड़ित अपनी पत्नी के गहने बेच कर रिश्वत की रकम जुटाने की बात कर रहा है। बहरहाल, सीओ साहब ना-नुकुर करते हुए पाँच लाख का झोला स्वीकार कर लेते हैं और नोट की गड्डियों का वजन अपने अनुभवी हाथों से तौल लेते हैं। दरोगा से डीएसपी बने क्षेत्राधिकारी साहब को रिश्वत लेने की आदत रही है। इसलिए वे रिश्वत स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि रिश्वत देने वाला उनकी कारगुजारी को खुफिया कैमरे में कैद कर रहा था। लिहाजा, जाँच पड़ताल के बाद विद्या किशोर शर्मा को दोषी करार दिया गया और आज वे उसी पद पर हैं जिसपर वे शुरू में थे। इस रिश्वतखोर अफसर की रिश्वतखोरी पर योगी आदित्यनाथ के तेवर सख्त हो गए और इसका डिमोशन कर दिया गया। यह तो एक बानगी है। पुलिस थाने और चौकियाँ दरअसल व्यापार के अड्डे बन चुके हैं। यूपी हो या उत्तराखण्ड या फिर कोई ओर प्रदेश पुलिस का यही हाल है। पुलिस दमदार से डरती हैं और कमजोर को सताती है। पुलिस का यह चरित्र बहुत घिनौना है। इसी घिनौने चरित्र के चलते अपराधी बेखौफ रहते है। उन्हें पता है कि वे पुलिस को खरीद लेंगे और कमजोर को दबाकर अपना उल्लू सीधा कर लेंगे। हर सरकारी महकमे का यही हाल है। रिश्वत के बिना फाइल हिलती ही नहीं है। फाइल को हिलाने के लिए धन-बल चाहिए। जब तक फाइल के रखवाले की हथेली की खुजली नहीं मिटाओगे तब तक फाइल वहीं पड़ी रहेगी। यदि तर्क-विर्तक करोगे तो तमाम कमियाँ गिनाकर तुम्हें चक्कर कटवाए जाएंगे। कमियाँ भी इस अंदाज में बताई जाएगी की आप भ्रम में पड़ जाएंगे। तंग आकर समय बचाने के लिए आप रिश्वत दे देंगे। रिश्वत की परम्परा अब साँसों की तरह जरूरी समझी जाने लगी है। इसके लिए मूलरूप से हमारे नेता जिम्मेदार हैं। नेता ईमानदार होंगे नहीं और सरकारी विभाग इसका भरपूर लाभ उठाकर भ्रष्टाचार में लिप्त रहेंगे। इसलिए, केवल पुलिस को दोष देना उचित नहीं। पूरी की पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार के दल-दल में है। इस दल-दल में गरीब और कमजोर छटपटाता रहता है। इतना अवश्य है कि पुलिस की क्रूरता की कोई सीमा नहीं। पुलिस कमाने के लिए किसी भी हद तक गिर कर सकती है। योगी आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो भ्रष्टाचार से नफरत करते हैं। उनके जैसा ईमानदार मुख्यमंत्री भाजपा के पास दूसरा नहीं है। ईमानदार व्यक्ति की यही पहचान होती है कि वह बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहना पसंद करता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भाजपा के अन्य मुख्यमंत्रियों को सीखना चाहिए। खासकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को रिश्वत के मामले में सख्त होना पड़ेगा। अन्यथा, भाजपा शासन का कोई लाभ नहीं।


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