
करीब नौ सौ साल 
परतंत्र रहा देश 
मौलिक दिमाग खो देता है। 
वह हृदय की 
स्वाभाविक धड़कन भूल बैठता है
उसका रक्त मंद पड़ जाता है। 
एक फिल्मकार की 
बचकानी जिद्द मघ्यकाल के राजपूताना की नाक को 
अपने तरीके से तराशना चाहती है। 
वह फिल्मकार 
राजपूताना की विश्व-प्रसिद्ध नाक को 
रोमांच और मनोंरजन के लेप से 
फिल्मी-मशाला बनाकर करना चाहता है पेश।
मुस्लिम आतंक की आँधी से 
आत्मसम्मान की लौ को बुझने से 
रोकने के लिये 
आविष्कार हुआ जौहर-व्रत का। 
यह 
राम-कृष्ण
बुद्ध-महावीर का भारत है 
जहाँ ज़ालिमों से हार को 
मौत से बदतर घोषित किया गया। 
भड़क जाता है 
समूचा भारत तो भड़क जाए। 
भूकम्प आता है 
तो आए। 
फिल्मी धंधा
भारत की आन से ऊपर नहीं। 
सदियों दबे रहे 
आक्रोश के घायल अंगारे 
दनक-दनक कर बाहर निकल आएं 
तो क्या बुरा है।
 National Warta News
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