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सिलक्यारा सुरंग दुर्घटना: तकनीक का सहारा लेकर, कंपनी ने टनल के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर बनाया

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 कर्मचारियों को बचाने के लिए आस्था का भी उपयोग किया जा रहा है। अब कंपनी प्रबंधन ने क्षेत्र के ग्रामीणों के दबाव पर सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर बनाया है। इस मंदिर को सुरंग के अंदर एक कोने में पहले हटा दिया गया था। शनिवार को पुजारी को बुलाकर विशेष पूजा भी की गई।

सिलक्यारा क्षेत्र में बाबा बौखनाग देवता को पूजा जाता है। बकौल प्रवीन जयाड़ा और धनपाल सिंह, कंपनी ने सुरंग का निर्माण शुरू करते समय बाबा बौखनाग का मंदिर बनाने का वादा किया था, लेकिन बाद में ऐसा नहीं हुआ। ग्रामीणों का मानना है कि दुर्घटना देवता की क्रोध से हुई है। ब्यूरो ने

कर्मचारियों का आरोप..।साथियों को सुरंग को बचाना नहीं चाहते अधिकारी

सुरंग में फंसे कर्मचारियों को बाहर निकालने में देरी की वजह से साथी कर्मचारी नाराज हैं। शनिवार को मजदूरों ने NHIDCL और नवयुगा निर्माण कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने कहा कि कंपनी गरीब कर्मचारियों को नहीं, बल्कि सुरंग को बचाना चाहती है। इसलिए कर्मचारियों को निकालने में देरी हो रही है। कर्मचारियों ने बताया कि अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला टूट रहा था और वे रो रहे थे। अधिकारियों ने कुछ कर्मचारियों को ढांढस बंधाया, जिनमें से कुछ ने अपने साथियों की चिंता करते हुए रो पड़े।

तकनीकी सलाह के लिए खोजे गए विकल्प

शनिवार को केंद्र सरकार की उच्चस्तरीय बैठक में तकनीकी सलाह पर ही निर्णय लिया गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. (एनएचआईडीसीएल), तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलुज जल विद्युत निगम लि. (एसजेवीएनएल), टिहरी जल विकास निगम (टीएचडीसी) और रेल विकास निगम लि. (आरवीएनएल) को एक विकल्प दिया गया है। सीमा सड़क संगठन (BRO) भी इस काम में शामिल है। NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी विभागों के बीच समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है।

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