11 साल का सोनू लाजवाब
-वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून
नालंदा का सोनू 11 साल की उम्र में देश के नेताओं और अफसरों की पोल खोल रहा है। वह धड़ल्ले से कह रहा है कि देश के अफसर बेईमान है। देश के नेताओं को शराब पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। शिक्षा विभाग के अफसर ज्यादातर बेईमान है। इसलिए गरीब बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर पा रहे है। बिहार का यह बच्चा फिल्मी अंदाज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जा खड़ा हुआ और बोला ‘‘मुख्यमंत्री जी मुझे पढ़ने की शक्ति दो’’। मुख्यमंत्री सहित सभी अफसर इस बच्चे की बेबाकी से दंग रह गए। यह बच्चा चाहता है कि उसके पिता ताड़ी पीते रहते हैं। वह अच्छे ढंग से पढ़ नहीं पा रहा है। पूरा देश इस बच्चे की वाकपटुता से हतप्रभ है। उसकी दिमागी परिपक्वता से प्रभावित होकर उसकी मदद करने वालों की लाइन लग गई है। 5वीं कक्षा का यह बच्चा चाहता है कि देश में दारू बैन हो। यह बच्चा अफसर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहता है।
उसका स्पष्ट कहना कि वह नेता बनकर देश की सेवा नहीं करना चाहता। इसमें कोई शक नहीं कि यह बच्चा असाधारण है। इसकी मेधा शक्ति लाजवाब है। यह बच्चा किसी भी बात को झट से समझ लेता है। इस बच्चे को देश के भ्रष्टाचार के खिलाफ बेबाकी से बोलना भी आता है। इसका मतलब, सोचने की ताकत रखता है। 5वीं कक्षा के 11 साल के इस बच्चे की खूबियों से सभी प्रसन्न हैं। यही कारण है कि इसकी आर्थिक मदद करने के लिए बढ़-चढ़ कर लोग सामने आ रहे है। यह बच्चा मोदी का प्रशंसक प्रतीत होता है। साथ में वह नीतीश कुमार की प्रशंसा भी कर रहा है। वाकपटुता और समझ का संगम निराला है। यह बच्चा सचमुच लाखों में एक है।
जब एक बच्चा सरकारी कुव्यवस्था पर प्रहार कर रहा है तो समझ लेना चाहिए कि हालात बदत्तर हो चुके हैं। मुख्यमंत्रियों को सरकारी शिक्षा कुव्यवस्था में बदलाव लाना पड़ेगा। सोनू की भावना को गंभीरता से लेना चाहिए। ताकि, शिक्षा क्षेत्र में व्यवस्था कायम हो। पूरी सरकारी मशीनरी दुरूस्त हो। सरकारी तंत्र सबके साथ न्याय करे। तभी जाकर सोनू जैसे बच्चों के साथ न्याय हो सके। सोनू तो अदम्य साहस दिखाकर अपना उद्धार कर पाया लेकिन हर बच्चे में ऐसा साहस नहीं होता।
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