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आज मैं जिस मुकाम पर पहुँचा हूँ उसमें मेरे गुरुजनों का योगदान: बघेल

-मर्रा के कृषि महाविद्यालय को मिला नया भवन, हाइटेक नर्सरी और टिश्यू कल्चर लैब भी

-मुख्यमंत्री – बघेल ने किया लोकार्पण, सवा पाँच करोड़ रुपए की लागत से बना है भवन

-सेवानिवृत्त 1500 शिक्षकों का शिक्षक दिवस के अवसर पर किया सम्मान

रायपुर (जनसंपर्क विभाग) ।   आज मैं जिस मुकाम पर पहुँचा हूँ उसमें मेरे गुरुजनों का योगदान रहा है। जिस स्कूल परिसर में हम खड़े हैं। वो बहुत पुराना है। यहाँ विनोबा भावे का आगमन हुआ था और यहाँ उन्होंने भूदान के लिए लोगों को प्रेरित किया था। आज जिस अवसर पर मैं यहाँ आया हूँ। वो शिक्षक दिवस का है। मैं पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षक डा. राधाकृष्णन को भी नमन करता हूँ। यह बात मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने आज पाटन ब्लाक के ग्राम मर्रा में संत विनोबा भावे महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के नवनिर्मित महाविद्यालय का लोकार्पण करने और शिक्षक दिवस के अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षकों के सम्मान कार्यक्रम के दौरान कही। रायपुरइसके साथ ही इस महाविद्यालय में हाइटेक नर्सरी, टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला, इंप्लीमेंट शेड, बीज भंडार गृह, कृषक विश्राम गृह, तीन खाद गोदाम व महाविद्यालय के २ अतिरिक्त कक्षों को लोकार्पण किया। शिक्षक दिवस के अवसर पर यहाँ 1500 सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मर्रा में स्थापित कृषि महाविद्यालय के तकनीक से खेती-किसानी में सुधार होगा। आधुनिक खेती से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। प्रदेश में १० हजार गौठान बनाये गए है। जिसमें आज ६ हजार गौठान स्वावलम्बी हो गए है। प्राथमिक शिक्षा विस्तार के लिए ७०० स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल ख़ोले गए है। स्कूल जतन योजना के तहत स्कूलों का जीर्णोद्धार किया गया है। ३० हजार टीचरों की भर्ती की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर वातावरण बनाना सरकार की मंशा है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति, यहाँ के रहन सहन, खान-पान को पहचान दिला कर स्वाभिमान को बढ़ावा देने का काम सरकार कर रही है। पुरखो के बनाये परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री  रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ३० हजार शिक्षक भर्ती हुई है। प्रदेश में २३ कृषि महाविद्यालय खोले जा चुके है।रायपुर कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना सरकार की सोच है। कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरकार का पूरा फोकस किसान और किसानी को बढ़ावा देना है। कृषि को उन्नत तकनीक से क्षेत्र के साथ प्रदेश के किसानों को लाभान्वित करने में यह महाविद्यालय सहायक होगी। कार्यक्रम को शिक्षा विद  सैयद फाजिल ने भी सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने महाविद्यालय परिसर में लगे कृषि विभाग के प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। पाँच करोड़ रुपए की लागत से बना है कृषि महाविद्यालय- संत विनोबा भावे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र मर्रा (पाटन) को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लगभग ८७ एकड़ भूमि आबंटित की गई है जिसके अंतर्गत कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान हेतु नवीन महाविद्यालय भवन जो कि समस्त शैक्षणिक सुविधाओं से सुसज्जित है एवं ३७३० वर्गमीटर में विस्तारित है, जिसकी लागत लगभग ५ करोड़ २५ लाख रूपये है। रायपुरयहां पर कृषि, शिक्षा एवं अनुसंधान कार्य हेतु स्मार्ट क्लास रूम, सम्मुनत प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, खेलकूद एवं एन.एस.एस., पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति आदि की सुविधाएं विद्यार्थियों को प्रदान की जा रही है। कालेज कैम्पस पूर्णतः वाई-फाई एवं इंटरनेट से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र में अनुसंधान हेतु ७२ एकड़ में कृषि प्रक्षेत्र का विकास किया गया है, जहां हाइटेक नर्सरी का निर्माण किया गया है। जिसकी लागत लगभग १ करोड़ रूपये की है जो कि लगभग १५ एकड़ क्षेत्र में विस्तारित है। हाइटेक नर्सरी में विभिन्न प्रकार के फलों एवं सब्जियों तथा फूलों का पौधा तैयार करके कृषकों को वितरण किया जाता है ताकि कृषकगण इनका प्रयोग करके आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। टिशू कल्चर प्रयोगशाला का निर्माण लगभग २.५० करोड़ की लागत से किया गया है, जहां केला, गन्ना, बांस, गुलाब एवं अन्य पौधों का टिशू कल्चर के माध्यम से विकास कर किसानों का वितरित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ मंडी बोर्ड के सहयोग से बीज भंडार गृह इम्प्लीमेंट शेड एवं कृषक प्रशिक्षण हेतु कृषक विश्राम गृह का निर्माण लगभग २.३७ करोड़ में किया गया है। २०० मेट्रिक टन क्षमता वाले ३ खाद खोदामों का भी निर्माण ३२.९३ लाख की लागत से किया गया है।

रायपुर

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