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रियासत-ए-मदीना में आपातकाल की आशंका

नियाजी अपनाएंगे इन्दिरा वाला हथकण्डा
नेशनल वार्ता ब्यूरो
आशंका बढ़ती ही जा रही है कि पाकिस्तान में आपाताकाल लगाया जा सकता है। आखिरी बॉल तक खेलने का यही मतलब निकल रहा है। जब आँकड़े प्रतिकूल होने पर भी नियाजी यानी इमरान ताल ठोकने से बाज नहीं आ रहे हैं तो ऐसी सूरत में आपातकाल की आशंका को बल मिल रहा है। नियाजी को लगता है कि विपक्ष उसका तख्ता पलटने पर उतारू है। नियाजी को लगता है कि वे रियासत-ए-मदीना की बुनियाद रख रहे हैं। भारत के खिलाफ जिहाद बरपा रहे हैं। कश्मीर में धारा-370 हटाने का लगातार विरोध करके भारत को आँखें तरेर रहे हैं। उनसे बढ़िया प्रधानमंत्री कौन हो सकता है। अपने बारे में उनके कुछ खयालात कुछ ऐसे ही हैं। विपक्ष ने पूरी ताकत झोंक दी है कि इमरान को बचा हुआ एक साल पूरा नहीं करने देंगे। क्योंकि विपक्ष को लगता है कि इमरान देश को बर्बाद कर रहे हैं और शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनते ही देश का कायापलट हो जाएगा और रातोंरात देश अमीर हो जाएगा। इमरान की पार्टी के सांसदों ने भी इमरान का साथ छोड़ दिया है। इमरान के अनुसार विपक्ष ने उन्हें खरीद लिया है। दूसरी ओर बुशरा बेगम जिन्हें पीरनी का खिताब हासिल है, वे रात दिन अपने जिन्नों को जगा रही हैं कि वे आकर नियाजी को बचाएं। नियाजी के दुश्मनों को तबाह कर दें। वे अब तक हजारों मुर्गियों को धधकती आग में जिन्दा जला कर अपने जिन्नों को दावत परोस चुकी हैं। उन्हें भरोसा है कि उनके पालतू जिन्न नियाजी की हुकूमत को बरकरार रखने में अपनी ताकत झोंक देंगे। बुशरा बेगम के टोने टोटकों के बदौलत ही उनके शौहर प्रधानमंत्री बने और अब उनके टोने टोटके ही उनकी वजीरी को बचा लेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि आर्मी के सेना प्रमुख बाजवा भी इमरान का साथ नहीं दे रहे हैं और पर्दे के पीछे से विपक्ष की पीठ थपथपा रहे हैं। पाकिस्तान का 72 साला इतिहास गवाह है कि वहाँ चाहे कोई प्रधानमंत्री कुर्सी पर हो या कोई फौजी हुकूमत चला रहा हो। हर हाल में भारत के खिलाफ जिहादी आतंक चलाते रहना है। मोहम्मद अली जिन्ना के उसूल को कायम रखना है। भारत में अस्थिरता पैदा करते रहना है। जिहाद के जज्बे को हल्का नहीं पड़ने देना है। लिहाजा, वहाँ कोई भी सत्ता में आए भारत पर कोई अच्छा असर नहीं पड़ने वाला। भारत को तो जिहादी आतंक से जूझते रहना है। कम से कम तब तक जब तक नियाजी का मुल्क टुकड़े-टुकड़े नहीं हो जाता। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून।

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