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🔴 धनतेरस की देशवसियों को शुभकामनायें
🌿 आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन
🚩 धन के साथ धर्म से भी जुड़ें
💥 नया खिले, कुछ नया खुले-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देशवासियों को धनतेरस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि कार्तिक महीने की द्वादशी तिथि से पांच दिनों तक चलने वाला दिवाली उत्सव सभी को उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें तथा धन के देवता कुबेर इस धनतेरस के शुभअवसर पर सभी को सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करें।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि धन के साथ धर्म से भी जुड़ें। कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता और कोई व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता। आप जो भी काम कर रहे हैं उसे देश सेवा मानकर पूर्ण समर्पण और निष्ठा के साथ करें।
आज के दिन धनवंतरि भगवान प्रकट हुये थे। भगवान धन्वन्तरि देव पद प्राप्त महान चिकित्सक थे इसलिये इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धनतेरस पर आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरी की पूजा-अर्चना की जाती है। धनतेरस को नवीनीकरण का पर्व भी कहा जाता है, जिसमें कुछ नया खिले, कुछ नया खुले और पवित्रता का पर्व भी कहा जाता है। भगवान धनवंतरि जी ने ही अमृतमय आयुर्वेदिक औषधियों की खोज की थी। आयुर्वेद तो जीवन का विज्ञान है एक स्वस्थ जीवन शैली को प्राप्त करने में आयुर्वेद सर्वोत्तम साधन है।
आयुर्वेद का अर्थ है ‘जीवन का विज्ञान’ ‘दीर्घ आयु’ या आयु और वेद का अर्थ हैं ‘विज्ञान। आयुर्वेद के अनुसार जीवन के उद्देश्यों यथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिये स्वास्थ्य का उत्तम होना नितांत आवश्यक है। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन स्वस्थ और खुशहाल होता है।
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान धनवंतरि, समुद्र मंथन के दौरान, एक हाथ में अमृत से भरा कलश अर्थात आयुर्वेदिक हर्बल औषधियों से युक्त कलश और दूसरे हाथ में आयुर्वेद के पवित्र ग्रंथ को लेकर प्रगट हुये थे। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उन्हें भगवान विष्णु के अवतार समझा जाता हैं।
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