

ऐ मेरे मन में बसे देश
साँसों में चलते मेरे देश
देखा तूने ऐसा नरेश
जिसने मुगलों की आँधी को
अपनी छाती से रोका था
भारत के ढलते बाहुबल को
खिन्न होकर धिक्कारा था
अकबर को ललकारा था।
जिस गढ़ को देखने के लिये
मचल रही मेरी आँखें
जिस गढ़ को नमन करने को
धड़क रहा मेरा हृदय
जिस गढ़ को छूने के लिये
फड़क रही मेरी बाहें
जिस माटी का तिलक लगाने को
तमतमा रहा मेरा माथा
वही चित्तौड़गढ़ का किला मेरे लिये
पावन काशी वृन्दावन से बढ़कर है
महाराणा प्रताप की माटी का कण-कण चन्दन हैं
हल्दीघाटी की पावन धरा को
मैं तीर्थ-धाम घोषित करता
हल्दीघाटी की पावन धरा को
मैं शक्तिधाम घोषित करता
जहाँ-जहाँ महाराणा का चेतक दौड़ा
उस-उस चप्पे को मैं प्रणाम करता
हे राष्ट्र के स्वाभिमान-सम्मान
हे चित्तौड़गढ़ मन्दिर के भगवान
भारत माता के सपूत महान
आने वाली पीढ़ियों को मैं तेरे गीत सुनाऊँगा
हर दम मैं तेरे त्याग के गीत गुनगुनाऊँगा।
VIRENDRA DEV GAUR
CHIEF-EDITOR
National Warta News