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उत्तराखण्ड विधान सभा में भर्ती घोटाले

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

उत्तराखण्ड विधान सभा में गुजरे 20 साल के भर्ती घोटाले अब जोर-शोर से चर्चा में है। बताया जा रहा है कि विधान सभा में भाई-भतीजावाद का बोलबाला रहा। नियमों को ताक पर रखकर भर्तियाँ की गईं। भर्ती घोटालों की सूची बहुत लम्बी बताई जा रही है। इन भर्ती घोटालों में विधान सभा के अध्यक्ष शामिल बताए जा रहे हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का नाम सबसे ऊपर है। इनपर आरोप है कि इन्होंने पर्चियाँ लिख-लिख कर अपने रिश्तेदारों को भर्ती करवाया। इन्होंने खास अपने परिवार से कई लोगों को विधानसभा में नौकरी पर लगवाया। कांग्रेस के नेता गोविंद सिंह कुंजवाल अलावा भाजपा के नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पर भी उँगलियाँ उठ रही हैं। वे पत्रकारों के प्रश्नों से बचते फिर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूदा विधानसभा अध्यक्षा रीतु खंडूरी से निवेदन कर रहे हैं कि वे चाहें तो विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों द्वारा कथित भर्ती घोटालों की अपने स्तर से जाँच करवाएं। ताकि, भर्ती घोटाले के जिम्मेदार लोगों को कानून के शिकंजे में लाकर जेल भेजा जा सके। मुख्यमंत्री का स्पष्ट कहना है भ्रष्टाचार में किसी को नहीं बख्शा जाएगा। किसी भी दल और किसी भी स्तर के व्यक्ति को भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने पर दंडित किया जाएगा। उनका कहना है कि उन्होंने विजिलेंस को भी इस काम पर लगा दिया है। एसटीएफ पहले से ही अपना काम कर रही है। भ्रष्टाचारियों के हाथ कितने ही लम्बे क्यों न हो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री से लोग उम्मीद कर रहें हैं कि वे अपनी इस नीति को अमल में जरूर लाएंगे। विधान सभा में गलत तरीके से हुई भर्तियों की जाँच बहुत जरूरी है। गुजरे 20 सालों में हुए इस भ्रष्टाचार का सच सामने आना ही चाहिए।

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