
मैं सतना मध्य प्रदेश की बेटी 
किस्मत मेरी ऐसी फूटी 
आँसू सूख गए रो-रोकर 
हिम्मत बिखर गई अत्याचार सह-सहकर।
अब तो मैं 
समाचार बन गई 
दसवीं कक्षा की एक बेटी मैं 
चाकुओं की नोक पर 
दरिंदों की दरिंदगी का शिकार बन गई 
फिर चला सिलसिला हवस मिटाने का 
इज्जत को सरेआम कर देने की धमकी का 
रोज-रोज बेइज्जत-बेआबरू होते रहने 
घुट-घुट कर जीने से पाने के लिये निजात 
गई मैं अभागी कई बार पुलिस से लगाने गुहार 
किंतु शिवराज मामा की पुलिस ने मामा का भी नहीं किया लिहाज 
झिड़कियाँ देकर इन्सानियत को पैरों तले रौंदकर 
भगा दिया गया मुझे तोहफे देकर गालियों के बार-बार।
पेट में जब दर्द की लहर उठी 
मैं तब अस्पताल की ओर चली 
बलात्कारियों ने सरेराह अगुवा कर पहुँचा दिया एक ज़ल्लाद डॉक्टर के पास 
वहाँ आनन-फानन में चीर-फाड़ कर बाहर निकाल दिया गया गर्भ से भ्रूण 
अपने मुरझाए शरीर की गठरी को समेटकर मैं एक बार फिर जा पहुँची पुलिस के पास 
अबकी बार मैं जा भिड़ी सीधे पुलिस कप्तान से 
थमा दी उसे भ्रूण की थैली 
जिसे थमा दिया था मुझे खरीदे गए बेरहम डाक्टर ने 
और कहा था फैंक दे जाकर इसे किसी नाली में।
मामा शिवराज चौहान सुनो-
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की हूँ मैं जीती जागती मिसाल 
मैं भी नर्मदा की बेटी हूँ देखो तो कितनी खुशहाल
मामा तेरी बेरहम ज़ालिम पुलिस की बहुत मोटी सूअर की खाल
मेरी जैसी बेटियों को गर्भ में बचा लोगे
गर्भ से बाहर लाकर पढ़ा लोगे 
फिर दबाते रहोगे इन नाटकीय नारों के शोर में 
मेरी जैसी बेइज्जत दुखियारी बेटियों की फरियाद भरी आवाज़। 
देश के राजपाठी मर्दो दुर्योधन के दरबार से बाहर निकलो 
महिलाओं पर बलात्कार को केवल एक नज़र से देखो 
लोकतंत्र की झूठी-बे-बुनियाद दुहाई मत दो 
सरेआम बलात्कारी को फाँसी देने का कानून बनाओ
बलात्कार की सुनवाई के लिये अलग अदालतों का गठन करो
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे मरे नारों को जीवन दो। 
मुझे अपनी कीमती राय भी दो
क्या मैं फूलन देवी बन जाऊँ 
मैं बलात्कारियों को उनके अंजाम तक कैसे पहुँचाऊँ
मैं निठल्ली बेईमान पुलिस से घोर अपमान का बदला कैसे लूँ
क्या मैं मामा शिवराज सिंह चौहान की माला जपते-जपते आत्मदाह कर लूँ।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor
National Warta News