होली महोत्सव के बाद विराजेगा झंडा
नेशनल वार्ता ब्यूरो
देहरादून की शान है झंडा रोहण उत्सव। दरबार साहिब में होने वाला वार्षिक झंडा महोत्सव होली के 5 दिन बाद आयोजित होता है। देहरादून के बीचोबीच विराजमान झंडा साहिब दरबार में हर साल धूमधाम के साथ नया झंडा लगाया जाता है। झंडा लगते ही भव्य मेला शुरू हो जाता है जो 15 दिन चलता है। देश के कई हिस्सों से जत्थे आते हैं जो दरबार साहिब के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट कर संतोष का अनुभव करते हैं। यहाँ आने वाले जत्थों में ज्यादातर श्रद्धालु पंजाब से होते हैं। गुरु राम राय उदासीन परम्परा के महात्मा रहे हैं। वे 1676 में दून पधारे थे। उन्होंने अपना डेरा झंडा साहिब विराजमान की पावन जगह पर जमाया था। यह समय देश में उथल-पुथल भरा था। अपनी कट्टरता के लिए जाना जाने वाला बादशाह औरंगजेब दिल्ली के तख्त पर काबिज था। कहते हैं कि उसने रामराय महाराज को यह इलाका सौंप दिया था। उदासीन परम्परा में सिखों के 10 गुरुओें वाली परम्परा से हटकर चला जाता है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में सिख दरबार साहिब के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं। दरबार साहिब का मुखिया महंत कहलाता है। महंत के कर कमलों से ही झंडा रोहण का संस्कार पूरा किया जाता है। संगतें देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों से आकर यहाँ ठहरती हैं और झंडा मेला में भी शामिल होती हैं। यह परम्परा गुरु रामराय के समय से ही चली आ रही है। देहरादून के लोग झंडा रोहण महोत्सव में शामिल होकर स्वंय को धन्य मानते हैं। कम से कम 15 दिनों तक मेले की चहल पहल रहती है। इस धार्मिक महोत्सव की तैयारियाँ इस समय जोरों पर हैं।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार, देहरादून।