

सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
जय श्री राम
हे रघुननदन
हे कृपानिधान
मिटा दो भगवन
मन के अन्दर की निराशा और अज्ञान,
हे देवकी नन्दन श्री कृष्ण महान
हे करुणा के धाम सुजान
बरसाओ अमृत रस-खान
गीता का प्रकाशमय ज्ञान।
कौशल्या नन्दन दयानिधि सीता राम
तोड़ो चुप्पी असीम धीरज बल धाम
हुए पाँच सौ साल अविराम
कारागार में बन्दी पड़ी पहचान
एक रावण उत्तर-पश्चिम से आया हैवान
धूल-धूसरित किया उसने देश का मान।
भेजो हे पुरुषोत्तम श्री राम
एक बार और साक्षात हनुमान
राक्षस हो गए देश में बलवान
अब तो देश के अन्दर ही खड़ी लंका सी चट्टान
इसका विध्वंस किये बिना नहीं होगा काम
हे अजानबाहु धनुष पर बाण का हो संधान।
रणभेरियाँ बज उठें चहुँ ओर
चहके चकोर नाच उठें मोर
आ गई लम्बी काली रात की भोर
हिमालय से अयोध्या-धाम तक शोर
अयोध्या धाम से रामेश्वरम धाम तक हो गर्जना घनघोर
काँपें पहाड़ पठार समतल थर्राएं समुद्र तीन ओर
नदियों में लहरों के उठें ज्वार पुर-जोर।
छा जाएं घटाएं
बरसांए फूलों की पंखुड़ियों की फुहार
दौड़ पड़ें एक-एक रामभक्त अयोध्या की ओर
पलों में मिटाने को इतिहास का सबसे बड़ा कंलक घोर
कर दें विश्व का अनोखा श्री राम धाम साकार
मिटा दें गुलामी का सबसे बड़ा विकार
राम लला का हो विश्व विजयी सत्कार
राम भक्तो फुलाओ फौलादी सीना बेज़ार
भरो सुनहरे भविष्य के लिए प्रचंड हुंकार
चूर-चूर कर दो रावण सेना का अहंकार
मस्तक उठाओ विजयी तिलक लगाओ
पहनाओ एक दूसरे को जीत का हार।
-जय भारत
National Warta News