“जीवन कथा”। जैसा नाम वैसा काम, और इस नाम से आज देश से लेकर विदेश तक लगभग सभी वाकिफ हैं।
एक ऐसी संस्था जिसने कई बदहाल जिंदगियों को खुशहाल जिंदगी में बदल कर रख दिया है। कई बेसहारों का सहारा बनकर समाज मे जो मिशाल जीवन कथा ने पेश की है वो आज के समाज में कम ही देखने के लिए मिलती है। किन्तु कई जिंदगियों का सहारा बन चुकी जीवन कथा ऐसे ही जीवन कथा नही बन गयी, इसके पीछे कहानी है कड़े त्याग की, कड़े बलिदान की, कड़ी मेहनत की और कड़े जीवन संघर्ष की और ये त्याग,संघर्ष और मेहनत की कहानी है जीवन कथा के संस्थापक राकेश पंवार की।

उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले के चन्द्रबदनी क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है झल्ड। झल्ड गांव में ही एक गरीब परिवार में राकेश पंवार का जन्म हुआ। बचपन इतनी गरीबी में बीता की रहने के लिए सर पर छत का सहारा भी नही था।
बमुश्किल से उनके पिताजी ने एक छोटा सा घर खरीदा परन्तु उस घर मे भी बरसात में पानी अंदर आ जाता था। जैसे कैसे करके उस घर मे दिन बिताए। थोड़ा बड़े हुए तो स्कूल गए पर गरीबी ने फिर भी पीछा नही छोड़ा, स्कूल की फीस और कपड़ो के लिए पैसे नही होते थे। फटे कपड़े और गरीबी के कारण सब दूरी बना कर रखते थे कोई उनका दोस्त बनने को भी तैयार नही होता जो बचपन मे उन्हें बहुत अखरता था। उनकी गरीबी का खूब मजाक भी उड़ाते। साथ में पढने वाले बच्चे चिढ़ाते,फब्तियां कसते की तेरे फटे कपड़े तू हमारे साथ मत रह , पर ऐसे कठिन समय मे उनकी माता जी ने हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें उनके लक्ष्य के लिए खूब प्रेरित किया।
बचपन मे लगी गरीबी की ठोकर ने ये तो सिखा दिया था कि बड़ा होकर कुछ बढ़ा करना है पर करना क्या है अभी तक स्पष्ठ नही था। जैसे तैसे गरीबी में बचपन कटा। स्कूल पास किया और जॉब की तलाश में जयपुर पहुंच गए। अनजान शहर एक-दो दिन काम की तलाश में कट गए जितने पैसे जेब मे थे सब खर्च हो चुके थे, फिर भी हार नही मानी और काम तलाश करते रहे किन्तु और दो दिन बाद भी जब कुछ काम नही मिला दो दिन के भूखे पेट के मारे राकेश ने फिर कूड़ेदान में पड़े खाने का सहारा लिया, तब असहाय गरीबी में जीने वाले लोगो के जीवन का एक नया किन्तु भयभीत करने वाला एहसास हुआ कि न जाने कितने लोग ऐसे ही अपना गुजारा करते होंगे।
समय गुजरा काम करते-करते विदेश पहुंचे वर्ष 2010 में।
घरवालों को लगा की चलो अब तो मुसीबत के दिन बीते किन्तु किस्मत को कुछ और ही खेल खेलना था, मुसीबत ने उनका पीछा वहां भी नही छोड़ा। विदेश में काम करते हुए दो वर्ष ही बीते थे कि सितम्बर 2012 में राकेश की तबियत खराब होने लगी, डॉक्टर से जांच कराई तो पता चला कि कैंसर है, और बचना मुश्किल है 90 फीसदी ना बचने और मात्र 10 फीसदी बचने की उम्मीद है। कुछ महीनों पहले जो अंधेरा छंटता हुआ दिख रहा था समय की मार में वो अब अचानक से बिल्कुल गहराने लग गया था। मौत और जिंदगी के बीच बहुत कम फासला रह गया था। मौत और जिंदगी के बीच झूल रहे उस कठिन समय मे उन्होंने सोचा कि अब स्पष्ट है अगर जिंदगी जीत गयी, एक और जीने का मौका मिल गया तो फिर दूसरों के लिए जिऊंगा। कई महीने बिस्तर पर पड़े और इलाज के दौरान उनके दिमाग मे बस यही चलता रहा की ठीक होने पर असहाय लोगों के लिए कुछ करूँगा और उनके द्वारा असहाय लोगो के लिए जीवन समर्पित करने के लिए की गई ये प्राथर्ना ईश्वर ने सुन ली और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से उन्हें उबार दिया और कुछ कठिन महीनों के बाद वो ठीक हो उठे।
जब वो मौत के मुहं से वापस लौटे तो बस अब एक मकसद था कि गरीबी में जी रहे लोगों के लिए इस नई जिंदगी को समर्पित करना है। और ये सोच धरातल पर वर्ष 2018 में जीवन कथा के रूप में हम सब के बीच आयी। जिसमे पहली जो मदद थी वो एक कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के लिए की गई। उसके बाद जो मदद का सिलसिला शुरू हुआ वो बढ़ता ही गया और कामना करते हैं कि बढ़ता ही रहे। मदद के जो हाथ जीवन कथा ने बढ़ाये हैं बस वो निरन्तरता से बढ़ ही रहे हैं। आज जीवन कथा किसी परिचय की मोहताज नही है। जीवन कथा आज कई गरीब परिवारों का सहारा है। जिसमे हर महीने कई गांवों में गरीब असहाय परिवारों को राशन से लेकर सारी मूलभूत जीवन की जरूरतें जीवन कथा पूरी कर रही है। गरीबों के लिए राशन से लेकर कई गरीब बच्चों की स्कूल फीस, पोशाक तथा चिकित्सा तक कि सुविधाएं जीवन कथा प्रदान कर रही है। जीवन कथा में हजारों दानदाता दान देते हैं जिसका उपयोग गरीबों के जीवन को संवारने के लिए जीवन कथा निरंतर प्रयासरत है। जीवन कथा समय समय पर कई अभियान चलाकर गरीब लोगों तक उनकी आवश्यकता की वस्तुएं प्रदान करती रहती है।
“जीवन कथा” अपने अभियान के तहत ठंड में गरीबो को कंबल- कपड़े बांटना, गरीब बच्चों की पूरी साल की फीस भरना, ज्यादा से ज्यादा असहाय लोगो तक राशन पहुंचाना, असहाय गरीब परिवारों की चिकित्सा, आर्थिक असहाय बच्चों को पढ़ने लिखने का सामान उबलब्ध करवाने से लेकर उनके लिए घर बनाने तक का कार्य जीवन कथा बड़ी कुशलता से कर रही है। अबतक जीवन कथा लगभग 15 से ज्यादा स्कूलों में 100 से ज्यादा असहाय बच्चों की स्कूल फीस की सहायता कर चुकी है, लगभग 95 से अधिक असहाय परिवारों को आटा, चावल, दाल, तेल, साबुन, नमक, मसाले और जरूरी रोज़मर्रा का सामान निरन्तर पहुंचा रही है। कई असहाय लोगो की चिकित्सा में सहायता कर चुकी है तो साथ ही साथ असहाय गरीब लोगों के लिए मकान निर्माण का भी कार्य कर रही है। जीवन कथा में कई स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं जो असहाय और गरीबी के कारण जीवन से निराश हो चुके लोगो को उनके घरों तक खुद पैदल और गाड़ियों की सहायता से जरूरतमंद सामान पहुंचाकर उनकी जिंदगियों को रोशन करने में पूरी जी जान से मेहनत कर लोगों के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं। जीवन कथा का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा असहाय लोगो तक पहुंच कर उनकी सहायता करना है। जीवन कथा का सोशल मीडिया फेसबुक पर “जीवन कथा” नाम से एक अपना पेज भी है जिस पर आपको जीवन कथा के लोगों की मदद के कई वीडियो मिल जायेंगे कि स्वयंसेवक जीवन कथा की सहायता से कैसे उनकी मदद करते हैं। जीवन कथा का अपना कार्यलय भी है जो टिहरी गढ़वाल के जामनीखाल में स्थित है।
जीवन कथा के जनक राकेश पंवार इस पेज पर लाइव आकर जीवन कथा से जुड़े सभी पहलुहों को लोगो तक पहुंचाते हैं। जीवन कथा अब अपना एक और नया कदम वृक्षारोपण करने की दिशा में भी बढ़ा चुकी है जिसमे 500 से 600 वृक्षों का वृक्षारोपण जामनीखाल से मां चन्द्रबदनी मंदिर तक किया जाएगा।
राकेश पंवार जीवन कथा के माध्यम से कभी भी जीवन कथा को दान करने वाले दानदाताओं का धन्यवाद करना नही भूलते हैं। हम भी धन्यवाद करते हैं कि धन्य हैं वो सब दानदाता जो जीवन कथा में दान करके अपना सहयोग असहाय लोगों की सहायता करने में दे रहे हैं, धन्य हैं वो स्वयंसेवक जो इस कार्य को पूरी निष्ठा से आगे बढ़ा रहे हैं और धन्य हैं राकेश पंवार जिन्होंने असलियत में इंसानियत को जिंदा रख मदद का हाथ असहाय लोगो के लिए आगे बढ़ाया और इस अमूल्य सोच जीवन कथा की स्थापना की। हम कामना करते हैं आपकी इस अमूल्य सोच ने जो जीवन कथा का रूप लिया है ये खूब आगे बड़े, सहायता के लिए ज्यादा से ज्यादा हाथ असहाय लोगों तक बढ़ाए और असहाय लोगों की जिंदगी में खुशहाली की रोशनी जैसे भर रही है ऐसे ही हमेशा जीवन कथा सबके जीवन में रोशनी भरती रहे। राकेश पंवार ने जो जीवन कथा के रूप में हमको दिशा दिखाई है हम सबको मिलकर उसपर आगे बढ़ना चाहिए ताकि हमारी इंसानियत जिंदा रहे। हम सब जीवन कथा के अनन्त तक लोगों की सहायता करने और राकेश पंवार जी की लंबी और खुशहाल जीवन की कामना करते हैं । जीवन कथा अपने अमूल्य योगदान के लिए हम सबके लिए एक सीख है जो हमें इंसान होने का और इंसानियत की मदद करने का पाठ पढ़ाती है। जीवन कथा को मेरा ह्रदय से धन्यवाद और प्रणाम।
“कड़े इम्तिहान देने पड़ते हैं जिंदगी में यूं ही आसानी से नही ‘जीवन कथा’ का आगाज हो जाता”।
राज बिष्ट
National Warta News