क्या है यूक्रेन की असलियत
-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
रूस का हमला बिना रूके जारी है। दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। तीसरे दौर की वार्ता अगले हफ़्ते होगी। यह सब बातें शांति के पक्ष में नहीं है। दोनों ओर से धमकियों का दौर भी जारी है। यूक्रेन रूस के सैनिकों को यूक्रेन से लौट जाने की धमकी दे रहा है। यूक्रेन कह रहा है लौट जाओ वर्ना मारे जाओगे। क्या यूक्रेन के इस अंदाज से यूक्रेन की बहादुरी झलक रही है। या यूक्रेन अपनी तबाही की कसम खा चुका है। रूस स्पष्ट कह रहा कि यूक्रेन सकारात्मक वार्ता में जितनी देर करेगा उतना ही उसे नुकसान उठाना पड़ेगा। रूस ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उसकी शर्ते समय के साथ और कड़ी होती चली जाएंगी। फिर भी यूक्रेन चेतने को तैयार नहीं है। रूस का इल्जाम है कि यूक्रेन अमेरिका के इशारों पर नाचना बंद कर दे वर्ना वह कहीं का नहीं रहेगा। रूस ने यह भी साफ कर दिया है कि यूक्रेन की सैनिक ताकत को समाप्त किये बिना रूस का भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा। रूस चाहता है कि यूक्रेन अपनी सैनिक ताकत (Demilitarization of Ukraine) को समाप्त करे। यूक्रेन रूस की सैनिक ताकत को चुनौती देते हुए बार-बार दोहरा रहा है कि वह रूस को बहुत नुकसान पहुँचा रहा है। यह दावा सिरे से हास्यास्पद है क्योंकि जो भी हो रहा है वह यूक्रेन की धरती पर हो रहा है। ऐसी स्थिति में भी यूक्रेन के दावे बचकाना लग रहे हैं। यूक्रेन को नेटो पर जो अटूट भरोसा है वह कहीं यूक्रेन को बर्बादी के रास्ते पर न ले जाए। इसमें भी दो राय नहीं कि यूक्रेन अपने देश के नागरिकों को ही नहीं बल्कि अपने देश में रह रहे विदेशियों को भी ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। इसके अलावा अगर यूक्रेन में जैविक हथियार बनाने की यूनिटें पाई गई हैं तो यह तथ्य रूस की आशंका को बल देता है और यूक्रेन की नैतिकता पर प्रश्न चिह्न (Question Mark) लगा रहा है। -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार, देहरादून।
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