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स्वामी चिदानंद ने हिंदू नव वर्ष और चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा नवसंवत्सर की दी शुभकामनाएं

 -विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण का ले संकल्प स्वामी चिदानंद सरस्वती

ऋषिकेश (दीपक राणा) । हिन्दू नव वर्ष के पावन अवसर पर चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन परमार्थ निकेेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को शुभकामनायें देते हुयेे कहा कि प्रत्येक वर्ष विक्रम संवत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारम्भ होता है।
हिन्दू नव वर्ष का पहला पावन पर्व नवरात्रि है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा की श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। ये नौ दिन भक्ति और शक्ति के दिन होते हैं, इन नौ दिनों में कुछ नया चुने, कुछ नया बुने। स्वामी जी ने कहा कि पानी के बिना पूजा सम्भव नहीं है इसलिये नवरात्रि पूजन के साथ ही जल के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दे। नव वर्ष के उत्सव के साथ विश्व जल दिवस मनाये और जल संरक्षण का संकल्प लें। यह केवल विश्व जल दिवस ही नहीं है बल्कि विश्व जन दिवस भी है क्योंकि जल है तो जन है; जीवन है और कल है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व के अनेक देशों से आये पर्यटकों के दल को जल का महत्व समझाते हुये विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।
स्वामी ने कहा कि जल की हर बंूद में जीवन है इसलिये उसका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। जल हमारे जीवन का आधार है। हमारी आस्था और विकास हेतु महत्वपूर्ण संसाधन भी है। हमें याद रखना होगा कि पानी बचेगा तो प्राणी बचेंगे, जल बचेगा तो जीवन बचेगा, जीविका बचेगी, जिन्दगी बचेगी और सम्पूर्ण मानवता बचेगी इसलिये जल जागरण को जन जागरण बनाना होगा, जल चेतना, जन चेतना बने, जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने।
स्वामी जी ने कहा कि गंदगी और बंदगी दोनों साथ-साथ नहीं रह सकते, आईये नवरात्रि के पावन अवसर पर जल संरक्षण का संकल्प लें क्योंकि ‘जल है, तो कल है’। जल है तो जीवन है।
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि राजा विक्रमादित्य के राजतिलक पर नववर्ष मनाया जाता है। विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार मनाया जाने वाले हिन्दू नववर्ष को हिंदू नव संवत्सर या नया संवत भी कहा जाता है। गणना के अनुसार, हिन्दू नव वर्ष का पहला दिन जिस भी दिवस पर पड़ता है पूरा साल उस ग्रह का स्वामित्व माना जाता है। हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र महीने से होती है यह समय बसंत ऋतु के आगमन का भी है।
नववर्ष के अवसर पर उत्साह, प्रफुल्लित मन और नई उर्जा से ओतप्रोत होकर संस्कृति, संस्कार और पर्यावरण संरक्षण हेतु आगे आये। शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं।
परमार्थ निकेतन में आज अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर ’जल जागरूकता’ हेतु परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों को संकल्प कराया तथा इस अवसर पर आर्ट काम्पटीशन का आयोजन भी किया गया ताकि बच्चे जल के महत्व को समझें और घटते स्वच्छ जल के प्रति सहेत रहें।
वर्ष, 2023 विश्व जल दिवस की थीम ‘त्वरित परिवर्तन’ रखी गयी है अर्थात् शीघ्र व्यवहार परिवर्तन और कार्रवाई के माध्यम से जल और स्वच्छता संकट को दूर करने की तत्काल आवश्यकताओं पर जोर देना है। आज का दिन दुनिया भर के सभी व्यक्तियों, परिवारों, स्कूलों और समुदायों से आह्वान करता है कि वे अपने दैनिक जीवन में जल के उपयोग और प्रबंधन के तरीकों में बदलाव लाएं। यह थीम लोगों को स्थायी जल प्रबंधन के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पहचानने और इस कीमती संसाधन के संरक्षण और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित करती है। सभी को मिलकर मानवता के सामने उत्पन्न जल संकट की चुनौतियों का समाधान करने के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे तथा त्वरित गति से व्यवहार परिवर्तन पर जोर देने होगा।

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