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कानपुर क्षेत्र का सुप्रसिद्ध शिवधाम

गंगा किनारे शिव के जयकारे

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

यों तो गंगा किनारे एक से बढ़कर एक शिवधाम हैं सारे, परन्तु कानपुर क्षेत्र का यह शिवधाम गजब का है। यहाँ आज के दिन भी शिव भक्तों का ताँता लगा हुआ है। बम-बम भोले के जयनाद से वातावरण गूँज रहा है। गंगा सरसराती बह रही है। कानपुर शहर क्षेत्र , कानपुर देहात, कन्नौज और उन्नाव के अलावा दूर-दूर से भक्त यहाँ महादेव के दर्शन को आते हैं। यह सुप्रसिद्ध शिवालय शिवराजपुर इलाके में है। यह प्राचीन मंदिर छतरपुर गाँव की सीमा पर सुशोभित है। कहते हैं कि यह शिवालय 13वीं सदी में अपने स्वरूप में आया। किन्तु कानपुर इलाके के श्रद्धालु इस शिवालय स्थल को महाभारत काल से जोड़ते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहाँ महाभारत  काल में भी शिवालय विराजमान था। जिसका समय-समय पर जीर्णोंद्धार किया जाता रहा है। हालाँकि, इस महान देवालय का मौजूदा स्वरूप कब अस्तित्व में आया इस मामले में कोई ठोस तथ्य मौजूद नहीं है। कहते हैं कि महाभारत के युद्ध के अंतिम चरण में जब भगवान श्री कृष्ण ने घायल अश्वत्थामा को कभी न मरने का श्राप दिया था तो अश्वत्थामा कई देवालयों से होता हुआ यहाँ भी आया था। उसने यहाँ देवादिदेव महेश्वर की आराधना की थी। श्रद्धालु तो यहाँ तक कहते कि अश्वत्थामा रोज सुबह-सुबह इस प्राचीन खेरेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना को आते हैं। वे तो दावा करते हैं कि सुबह-सुबह किसी अज्ञात भक्त के शिव पूजा के प्रमाण भी मिलते हैं। इस अज्ञात और अदृश्य श्रद्धालु को लोग अश्वत्थामा मानकर चलते हैं। श्रावण मास में तो इस खेरेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना के लिए पूरा कानपुर क्षेत्र उमड़ पड़ता है। आज महाशिवरात्रि के अवसर पर भी यहाँ विशाल धर्म-मेले का आयोजन होता है। इस समय भी वहाँ विशाल जन समुदाय गंगा के किनारे हर-हर महादेव के जयकारे लगा रहा है। इस समय पुलिस के लिए भक्तों के जमावड़े को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है। ऐसी है देवादिदेव महादेव की महिमा यहाँ।-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार, देहरादून।


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