लाखामण्डल और कालसी का सुनहरा भूतकाल
लेखः सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव ) और एम0एस0 चौहान
श्रोत: जौनसार बावर, ऐतिहासिक सन्दर्भ
लेखक: टीका राम शाह
पुस्तक प्राप्ति का श्रोत: दून लाइब्रेरी, परेड मैदान देहरादून
जौनसार बावर ऐतिहासिक भूमि है। यहाँ चप्पे-चप्पे पर इतिहास झलकता है। महाभारतकाल से लेकर आज तक जौनसार बावर ने कई ऐतिहासिक मोड़ देखे हैं। जिसके फलस्वरूप यहाँ मन्दिरों से लेकर गढ़ों और गढ़-खाइयों के ठोस प्रमाण मौजूद हैं। कालसी गढ़ व विराट गढ़ के बारे में औरंगजेब ने राजा बुध प्रकाश को सन् 1660 में एक सनद दी थी। जिसमें विराट और कालसी किले का जिक्र था। इसका अर्थ यह है कि 17वीं सदी में जौनसार बावर के इस क्षेत्र में कालसी और विराट में गढ़ मौजूद थे या फिर गढ़ों के खण्डहर मौजूद थे और ये दोनों स्थल तब महत्वपूर्ण हुआ करते थे। इसके अलावा राजा रिसालू की गढ़ी के बारे में जीआरसी विलियम और एच वाल्टन ने भी अपनी किताब में लिखा है। बगी का टीबा पर भूप सिंह राजा के गढ़ की चर्चा एक अंग्रेज लेखक ने भी की है। जौनसार बावर में यह गढ़ मेंवडा-कुना गाँव के पास है। इस गढ़ के राजा को एक पिछड़ी जाति के योद्धा ने मारा था। इनके गढ़ के खण्डहर आज भी मौजूद हैं। लाखामण्डल मन्दिर के सामने एक गढ़ है जिसे गढ़ेको कहते हैं। इस गढ़ के चारो ओर खाई, कुएँ तथा दीवार के खण्डहर आज भी देखे जा सकते हैं। एक गढ़ रणथम विराट खाई रोड पर भद्रोटा गाँव के ऊपर है। यहाँ एक सुरंग भी थी जो बाद में बंद कर दी गयी। यहाँ का पत्थर पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ सिलगुर व भद्राज देवता व देवी की मूर्ति व मन्दिर हैं। यहाँ कभी एक नगर हुआ करता था। यहाँ राजा विराट का एक ताकतवर सांमत रहता था। यह इलाका गढ़ों से पटा हुआ है। एक गढ़ कानासुर का कोटी कनासर के पास है। एक गढ़ निमगा के रावतों का कोटगढ़ है जो निगमा गाँव के पास है। डुगियार में डुगियारा गढ़ है। कोटी गाँव में भी रावतों का एक गढ़ है। इस तरह कम से कम 17 गढ़ों के प्रमाण मौजूद हैं। अन्य गढ़ों में मोल्टा गढ़, बस्तील गढ़, कोट थनेड़ी, बिजनू गढ़, किड़गड़, बुरास्टी गढ़, रंगेऊ गढ़, लाखामण्डल गढ़, जाखण़ी गढ़ और साँगवा गढ़ शामिल हैं।
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