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रेलवे की रेल क्रांति

गार्ड नहीं मैनेजर कहो
मोदी सरकार का फरमान

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
अब रेल के गार्ड को गार्ड मत कहिएगा। अब उन्हें आप को सम्मान से मैनेजर कहना होगा। पूरे भारत के रेल गार्डो के लिए अच्छे दिन आ गए हैं। मोदी जी का नारा अच्छे दिन आएंगे। ऐसे ही तो धीरे-धीरे साकार होगा। अब पदनाम बदल गया है। अब रेलवे के कोच पहले से सुन्दर मजबूत होंगे। पदनाम का ही कायाकल्प नहीं हुआ है अब रेलवे में हर नजरिए से कायाकल्प हो रहा है। सफाई भी पहले से बेहतर नजर आ रही है। भोजन भी पहले से बेहतर परोसा जा रहा है। गाड़ियों के आने-जाने के समय में भी अनुशासन बेहतर होता जा रहा है। तेजस और वन्दे भारत जैसी सरपट दौड़ने वाली ट्रेनें जनता की सेवा कर रही हैं। सरकार रेलवे विभाग में हर सम्भव सुधार कर रही है। इसी को कायाकल्प कहा जा रहा है। नए रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव खूब चुस्ती-फुर्ती से काम कर रहे हैं। उनसे पहले पियूष गोयल ने भी खूब काम किया। कोविड महामारी में पियूष गोयल ने रेलों को बहुत अच्छी तरह से मैनेज किया था। उनके इस मैनेजमेंट की सराहना लोग आज भी कर रहे हैं। ये सब संकेत रेलवे में सुधार को प्रमाणित कर रहे हैं। अश्वनी वैष्णव के इरादे बुलन्द हैं। आने वाले 2-3 सालों में भारतीय रेलवे नेटवर्क की गिनती दुनिया के गिने-चुने देशों में होने लगेगी।


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