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घाटी में जिहादियों ने बैंक मैनेजर को मारा

जिहाद का नागफन फिर फुंकारा

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

जिहादिस्तान के पाले पोसे जिहादियों ने एक और हिन्दू का कत्ल कर दिया। कत्ल का दावा करने वाला जिहादी संगठन घाटी में ही जड़ें जमाए हुए है। यह संगठन अपनी जड़ें कहीं भी बताए एक भी हिन्दू का कत्ल भारत के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। भारत सरकार को यह सौंगन्ध लेनी होगी कि हिन्दू बैंक मैनेजर अन्तिम हिन्दू है जिसे जिहादियों ने हमसे छीन लिया। भारत सरकार को यह सच भी स्वीकार करना ही पड़ेगा कि कश्मीर क्षेत्र में चलाया जा रहा आतंकवाद कोरा आतंकवाद नहीं है। यह जिहादी आतंकवाद है। भारत सरकार को सरकारी स्तर पर स्वीकारना होगा कि कश्मीर क्षेत्र में जिहादी आतंकी सक्रिय हैं। कश्मीर क्षेत्र में जिहादी आतंक काम पर है जिसका मकसद कश्मीर क्षेत्र को इस्लामी मुल्क घोषित करना है । ऐसी स्थिति में इसे आतंकवाद कैसे कहा जा सकता है। यह तो आतंकवाद से कई-कई गुना खतरनाक मजहबी आतंकवाद है। जिसे जिहादी आतंक कहना सच है। जब तक मोदी सरकार कश्मीर क्षेत्र में चलाए जा रहे जिहादी आतंक को केवल आतंक कहती रहेगी तब तक भारत जिहादी आतंक से मुक्त नहीं होगा। भारत सरकार को इसे जिहादी आतंक कहना होगा ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ किसी भ्रम में न रहे। संयुक्त राष्ट्र संघ तभी सच्चाई को समझेगा जब हम इस खतरनाक सच्चाई को स्वीकार करेंगे। इसमें दो मत नहीं कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 के दिन धारा 370 को जड़ से उखाड़ फेंका। इसके बावजूद जिहादी आतंक कश्मीर क्षेत्र में फलफूल रहा है। जिसका कारण भी यही है कि यह आतंक मजहब से खाद पानी लेता है। 1400 सालों से यह बदस्तूर चल रहा है। अगर जिहादी आतंक को किसी ने सबसे अधिक भुगता है तो वह भारत है। इतना हो जाने के बावजूद हम स्वयं झूठ बोल रहे हैं। यह आतंक नहीं है। यह जिहादी आतंक है। जिसकी जड़ें इनकी मजहबी किताबों में हैं। यह मसला बहुत गंभीर है। मोदी जी दिन रात भारत के विकास के लिए काम कर रहे हैं। मोदी जी को समझना होगा कि भारत किसी जमाने में सोने की चिड़िया कहलाता था। तब के शासकों ने भी जिहादी आतंक को समझने में भूल की और आज उसी भूल की पुनरावृत्ति की जा रही है। अगर भारत का कोई मुसलमान जिहादी आतंक की शब्दावली से खार खाता है तो समझ लीजिए वह जिहादी मानसिकता का मुसलमान है। जिहादी मानसिकता से मुक्त मुसलमान इस शब्दावली से कभी बुरा नहीं मानेगा। मोदी जी जब कश्मीर क्षेत्र के आतंक को जिहादी आतंक कहेंगे तो पश्चिम वालों को भी कुछ समझ में आएगा। वे भी हम भारतीयों की तरह असमंजस में हैं। अगर वे असमंजस में नहीं हैं तो वे झूठ बोल रहे हैं। जिहादी आतंक किसी भी आतंक के सामने दुर्दान्त है। आतंक का इलाज है मगर जिहादी आतंक का इलाज तभी होगा जब बहुत बड़े कदम उठाने को हम तैयार हों। हमें जिहादिस्तान पर जिसे आप पाकिस्तान कहते हो, हमला करके टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहिए। ऐसा करने से जिहादी आतंक समाप्त तो नहीं होगा लेकिन 100 सालों के लिए कमजोर पड़ जाएगा। इस बीच हम भारत के अन्दर से चलाए जा रहे जिहाद और जिहादी आतंक से मुकाबला कर सकते हैं। अगर भारत यह सोचता है कि जिहादिस्तान खुद ब खुद बिखर जाएगा तो यह हमारी नासमझी होगी। दुनिया भर के जिहादी, जिहादिस्तान को बिखरने नहीं देंगे। भारत की सैन्य क्षमता के दम पर जिहादिस्तान को खण्ड-खण्ड करके भारत के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है । -वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून


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