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मौसम की करवट से काश्तकारों में भय

ओले गिरने की आशंका से काश्तकारों में भय महसूस किया जा रहा है। आने वाले 48 घंटे खड़ी फसलों के लिए आफत सिद्ध हो सकते हैं। मौसम विज्ञानियों की यह आशंका सच हुई तो गेहूँ और सरसों की फसल पर विपदा आ सकती है। यह विपदा फसलों को तहस-नहस कर सकती है। मौसम की वर्षा तो फसलों के लिए फायदेमंद है लेकिन ये फसलें ओलों का सामना करनी की स्थिति में नहीं हैं। उत्तर भारत के कई प्रदेशों में गेहूँ और सरसों की फसलें लहलहा रही हैं। गंगा यमुना का दोआब (fertile land between ganga and yamuna) इस समय सरसों की पीली चादर ताने हुए है। खेतों की सुन्दरता किसी शानदार चित्रकारी से कम नहीं। यह फसल अगर सुरक्षित रह पायी तो काश्तकार खुद को बहुत भाग्यशाली समझेंगे। पहाड़ के कई हिस्सों में हिमपात जारी है। यदि इस हिमपात का प्रसार हुआ तो गंगा यमुना के मैदानों में यही हिमपात ओलों की शक्ल में फसलों पर टूट पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का शोेर बढ़ता ही जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो काश्तकारों की विपदाओं पर ही चुनाव प्रचारक फोकस (focus) किये हुए हैं। अगर इस तरह की विपदा आती है तो मामला और भी गर्म हो जाएगा। बहरहाल, इस आशंका से बच पाने की उम्मीद बरकरार है। -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून ।


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