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अभिनेता डैनी का नैनीताल से बचपन का नाता (Birth-25 feb 1948)

डैनी ने स्कूल की पढ़ाई नैनीताल में की
दिल के जख्म दवा से नहीं भरते, खुदा गवाह फिल्म का डॉयलॉग
डैनी बोले हर पापी का आने वाला कल होता है
इंसान और लक का कोई भरोसा नहींः डैनी की लक फिल्म का डॉयलॅाग

पद्म श्री डैनी ( Danny Denzongpa) ने खलनायकी के साथ-साथ बतौर चरित्र अभिनेता अपने शानदार अभिनय का लोहा मनवाया। उनके परदे पर आते ही दर्शक पीठ सीधी करके चौकन्ने होकर बैठ जाया करते थेे। डैनी की सम्वाद अदायगी और चेहरे के हाव-भाव के क्रम में गजब का तालमेल ( perfect rhythm) रहता था। उनके परदे पर आने का दर्शक बेसब्री से इंतजार करते थे। उनके परदे पर आते ही फिल्म नई करवट (turning point) ले लेती थी। यदि किसी फिल्म की पठकथा कमजोर होती थी और सम्वाद (dialogue) ढीले होते थे तब भी उनका अभिनय कसा हुआ होता था। उन्होंने बड़ी से बड़ी फिल्मों में अपने किरदार बहुत संयम और धार के साथ निभाए हैं। संक्षेप में कहा जाए तो वे अपने किरदार में जान डाल देते थे। पूरी ताकत से अभिनय करते थे। डैनी ने धुंध, 36 घण्टे, बैंडिश, जियो और जीने दो, धरम और कानून, अग्निपथ जैसी फिल्मों में खलनायकी का कमाल दिखाया था। चरित्र अभिनेता के रूप में उन्होंने फकीरा, चोर मचाए शोर, देवता, कालीचरण, बुलंदी और अधिकार जैसी फिल्मों में सधे हुए अभिनय की छाप छोड़ी है। निर्देशक के रूप में डैनी ने फिर वही रात फिल्म को सफलता दिलाई थी। इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा की टॉप 5 डरावनी-कौतूहल (horror suspense) फिल्मों में शामिल किया गया था। बुद्धिष्ठ परिवार में जन्में डैनी ने नैनीताल में अपनी स्कूली पढ़ाई बिरला विद्या मंदिर से की। उसके बाद दार्जिलिंग में सैंट जोसेफ कॉलेज से कॉलेज की पढ़ाई की। इन्हें घोड़ों और घुड़सवारी से खास लगाव है। अभिनय प्रतिभा के धनी डैनी गायक, लेखक और मूर्तिकार भी हैं। डैनी को भारतीय सेना में शामिल होने की प्रबल इच्छा थी। इन्होंने रिपब्लिक डे परेड में भी भाग लिया था। डैनी ने सेना के मेडिकल कॉलेज पूना के लिए परीक्षा पास कर ली थी लेकिन फिल्म और टेलीविजन संस्थान पूने में भर्ती होने के लिए मेडिकल कॉलेज से अपना नाम वापस ले लिया। इन्होंने नेपाली फिल्म के लिए लेखन के साथ-साथ अभिनय भी किया। डैनी ने आशा भोसलें जैसी बड़ी गायिका के साथ गायन किया। इस तरह डैनी बहुआयामी प्रतिभा संपन्न खूबसूरत व्यक्ति है जो अपने स्वास्थ्य को लेकर पल-पल सजग रहते है और सूर्योदय से पहले योग-व्यायाम करके खुद को तरोताजा रखते हैं।

-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून।


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